बेरुख़ी

उनकी बेरुख़ी पर अब तो 
होंठ भी सी लिए हमने,
आँखों में रुसवाई जो देखी
बरसना बंद कर दिया हमने।
एक आह सी सुलगती है 
अब भी दिल ही दिल में,
सिसकने की आवाज़ को भी 
बाहर लाना बंद कर दिया हमने।
अरुणा कालिया

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