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अबला नहीं सबला

जन जन में रच रही अपनी सुंदरतम बात कर्म शील बन रही कर कर लंबे हाथ। इतिहास रचा स्वयं बन बन सबला अवतार झांसी की रानी तू अवतरित उठाकर तलवार। कलाई पहनें चूड़ियां भर भर कर श्रृंगार आस न छोड़ी तूने कितना भी हो अपमान। स्वाभिमानी है तू सबला बनने की ठानी जग समझे लाख अबला शक्ति तुझमें निराली