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आँखों से छलकता है

प्रेम रूह की गहराई है प्रेम आँखों से बयां होती है प्रेम रूह के समुंदर में पलता है आँखों से मोती बन छलकता है प्रेम दो नैना हैं साथ जगते हैं, साथ पलक झपकते हैं, साथ ही पलक बंद कर मनन करते हैं। प्रेम दो किनारे हैं, साथ चलते हैं सुख-दुख सब साथ झेलते हैं। पवित्रता की वह मिसाल है नैनों से पूछो, आंसू साथ बहाते हैं खुशी भी साथ मनाते हैं प्रेम राधा है,प्रेम कृष्ण है प्रेम अलौकिक है, पारदर्शी है। प्रेम मनुष्य है,प्रेम मनुष्यता है। प्रेम की गहनता समझ से परे है जिसे समझ आ जाए वह कृष्ण है। अरुणा कालिया