सपने में सपना
सपने में सपना-- एक रात सपने में देखा एक सपना चांद मिलने आया धरा पर था छाया। आश्चर्य हुआ इतना किंकर्तव्यविमूढ़-सा मेरा मन विचलित-सा हैरां-परेशां डोल रहा मन हतप्रभ-सा, शरमाया घबराया कुछ समझ न पाया। यथार्थ देख समक्ष कल्पना देख प्रत्यक्ष तैयार न था मन संभाल न पाया पल। वापिस जाने को किया विवश कर-युगल विनती कर क्षमा मांग खड़ी विकल। अरुणा कालिया