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पड़ाव

ज़िंदगी में आए अनेक पड़ाव हर पड़ाव पर लिया विश्राम हर विश्राम में बुने सुंदर सपने हर सपने ने दिया एक घाव हर घाव में था क्रांति सा भाव। घाव छोटा या बड़ा अनदेखा न करना घाव से करो एक दुश्मन सा बर्ताव घाव सदा से पीड़ा देता,नहीं आराम घाव को फेंको जड़ से उखाड़। अरुणा कालिया