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यादें

यादों का पिटारा पीछे छूट रहा है बढ़ रहे कदम, मन पीछे छूट रहा है, यादों के बादल धुंध से छा रहे हैं बढ़ते कदम रुकना चाह रहे हैं। अधूरा सा लागे, है सब कुछ मेरे पास फ़िर भी अछूता सा लागे। कह न पाऊं मन की बात हैं शब्द नहीं मेरे पास। अरुणा कालिया