सुबह की लालिमा
हर सुबह सूरज की लालिमा धरा को छूती है हर सुबह सूरज की रश्मियाँ धरा को नहलाती हैं हर सुबह सूरज की रोशनी नई ऊर्जा धरा को देती हैं पर हर सुबह मन की प्रवृत्ति सबकी समान न होती है राक्षसी प्रवृत्ति राक्षसी ही रहती परिवर्तित न होती है। शोधकर्ताओं को शोध करना है, विषय बड़ा गंभीर है। अरुणा कालिया