दिल वापिस कर दो

न जज़्बातों की कद्र है अब, न दिल का तराना
न संग बिताए लम्हे हैं न दिलों का आशियाना।

अब न यादें हैं बाक़ी न क़ीमती पलों का अफ़साना।
मेरा दिल वापिस कर दो, मत रखो हक मालिकाना।।

जब हम साथ थे लोगों में चर्चित था हमारा याराना।
अफ़सोस रहेगा सदा रख न पाए दिल का नज़राना।।

टुकड़ों में बदले तुम-मैं,कब अलग हुआ 'हम' हमारा
नादां थे शायद हम भी कच्ची उम्र का था प्यार हमारा।।
अरुणा कालिया

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