क्षितिज

दूर क्षितिज पर तिमिर का घेराव
जब हाहाकार कर शोर मचाए
मनमंदिर में उठी उम्मीद की किरण
धैर्य धारण कर धीरज बंधाए।
बस कुछ पल और मचा ले शोर
हाहाकार कर, ऐ क्षितिज तिमिर!
उजाले की एक किरण ही है
काफ़ी तेरा तम भगाने को।
अरुणा कालिया

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