शहर में

शहर में हवा कुछ ऐसी चली
समां कुछ सहमा-सहमा सा है।
शहर में हवा कुछ ऐसी चली
कारवां कुछ ठहरा-ठहरा सा है।
यूं तो ज़िंदगी सांस ले रही
शहर में आदमी कुछ डरा-सा है।
कार्य हो रहे सभी यहां,पर
हर आदमी बच कर चल रहा-सा है।
शहर में हवा कुछ ऐसी चली
हवा को भी छान कर पी रहा-सा है।
अरुणा कालिया


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