नारी प्रेम

नारी प्रेम देह से बढ़कर
दिल की गहराइयों से जुड़ा होता है।
पुरुष के प्रेम में सच्चाई देख
पलकें बिछा दे, नारी।
और पुरुष का प्रेम!
मात्र होंठों का रसपान,
देह के सुख तक सीमित क्यों है?
आँखों की गहराई में
छिपा प्रेम वह देख नहीं पाता,
स्त्री देह की कामना से परे
प्रेम को समझने वाली
पाखी नज़र उसके पास
शायद है ही नहीं।
अरुणा कालिया

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