सुबह की किरण

सुबह की किरणों को देखो
मन में उतरने का आह्वान करो
खुद में आत्मसात करो
उड़ते पंछियों को देखो
उनकी उड़ान में
खुद को शामिल करो
फ़िर देखो
रोम रोम में नई 
स्फ़ूर्ति पाओगे
रोशनी की किरण
नई उम्मीद में पाओगे
सुबह की किरण से
प्यार करो
खुद को
रोशनी में पाओगे।
ऐसी रोशनी
निराशा के तम को दूर कर
मन में उम्मीदों के दिए 
प्रज्वलित करेगी,
स्वछंद उड़ान भर
स्वछंद आकाश में
गोते लगाकर
असंख्य जन में
जीने का संचार पाओगे।
अरुणा कालिया

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