नाथ

अनाथ और सनाथ में एक बात सामान्य है
नाथ शब्द दोनों में समान रूप से प्राप्य है
नाथ साथ है,पर नाथ से प्रसन्नता अप्राप्य है।
नाथ मृग की कस्तूरी है, पर ढूंढ़ना अक्षम है।
अरुणा कालिया

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