यादों के पन्ने

ज़िंदगी की यादों के पन्ने बिखरते हुए देखा
जब जब समेटना चाहा और बिखरते गए।
कठिन डगर होती है यादों के पन्नों से गुज़रना।
ज़िंदगी की क़िताब के पन्नों को लिखने में
उम्र गुज़र जाती है हर लम्हा लिखते-लिखते।
अरुणा कालिया 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेघ आए, पाठ योजना

उगता सूरज

प्रसिद्ध धार्मिक-पुस्तकें पढ़नी ही चाहिए- (लेख )