खुशियाँ आती नहीं, हमें खोजनी पड़ती हैं

खोजने से तो भगवान भी मिल जाते हैं,
निराश मन को आस-किरण मिल जाती है।
पाना-खोना मन की मजबूती-मजबूरी है।
ग़म में डूबे रहना हमारी ही सोच होती है।
मन से ही मजबूती है, मन ही कमज़ोरी है।
मान लो तो हार है, नहीं तो जीता संसार है।
ग़मग़ीन दुनिया में ही मत डूबो बाहर आओ
खुशियाँ पाने के लिए उन्हें ढूंढना पड़ता है।
बिन कोशिश के तो रब भी सहाय नहीं होते।
ऐसा होता तो सभी यूंही प्रयासरत नहीं होते।
अरुणा कालिया

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेघ आए, पाठ योजना

उगता सूरज

प्रसिद्ध धार्मिक-पुस्तकें पढ़नी ही चाहिए- (लेख )