गुनहगार

कहीं रातें गुनहगार हैं
 दिन की 
कहीं दिन गुनहगार हैं
 रातों के। 
कहीं सूर्य चन्द्र के कहीं चन्द्र
 सूर्य के।
 कहीं न कहीं कोई न कोई
 गुनहगार है, 
हर जो किसी न किसी की 
राह रोकता है। 
अरुणा कालिया

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