आज सुबह

आज सुबह ने दिया बारिश
को न्यौता
बारिश ने स्वीकारा मज़बानी
का न्यौता।
झमाझम धमाधम बरसा पानी
मेघ दहाड़ा।
कण-कण भीगा धरती हुई
अब बेहाला।
सड़कें, खेत-खलिहान सब
सब ऐसे डूबा
जैसे प्रकृति के प्रकोप का
विस्फ़ोट हुआ।
अरुणा कालिया

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