सब्ज़बाग़

एक दिन विशेष बाक़ी सब्ज़बाग़ 
एक दिन की चांदनी फ़िर अंधेरी रात।

देना है सम्मान तो दृढ़ संकल्प रखो
जीवन भर तीखे बाण नहीं प्रेम रखो
साथ रख जीवन संगिनी बनाकर रखो
वादा करके जीवन भर निभाना सीखो।

मान की चाह नहीं, तेरे साथ की है चाह
अर्धांगिनी समझो, निभाऊंगी तेरा साथ।
एक दिन विशेष नहीं जीवन विशेष हमारा
सब्ज़बाग़ नहीं सच्चा बाग़ हरियाला हमारा।
अरुणा कालिया

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