राम बसै

सीता राम मन बसै
रावण बिगाड़ कछु न पावै
तीर राम हृदय से छोड़ें
रावण दहन हुई जावै।

राम राज करैं
रावण करे अट्टहास
बुराई जीत न पावै
सिर उगें चाहे हजार।

ज्ञान विज्ञान धरा रहै
मन में मैल बसाए
अज्ञानी प्रेम-दीप धरै
हृदय राम बस जाए।।

अरुणा कालिया

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