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अगस्त, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सकारात्मक सोच

सकारात्मक होना समस्या को दूर करने का सबसे सरल साधन है सकारात्मक सोच ही विघ्नों को हर लेने का सबसे पहला कदम है। सकारात्मक सोच नकारात्मकता को पूर्णतः विध्वंस कर देती है। अतः सोच को सकारात्मकता में बदलना ही जीत का पहला कदम है। अरुणा कालिया

खुशियाँ आती नहीं, हमें खोजनी पड़ती हैं

खोजने से तो भगवान भी मिल जाते हैं, निराश मन को आस-किरण मिल जाती है। पाना-खोना मन की मजबूती-मजबूरी है। ग़म में डूबे रहना हमारी ही सोच होती है। मन से ही मजबूती है, मन ही कमज़ोरी है। मान लो तो हार है, नहीं तो जीता संसार है। ग़मग़ीन दुनिया में ही मत डूबो बाहर आओ खुशियाँ पाने के लिए उन्हें ढूंढना पड़ता है। बिन कोशिश के तो रब भी सहाय नहीं होते। ऐसा होता तो सभी यूंही प्रयासरत नहीं होते। अरुणा कालिया

प्रश्न निर्माण करो

ज्ञान प्राप्त करने से पहले प्रश्न निर्माण करो। जिज्ञासा को बढ़ाने दो, और प्रश्न निर्माण करो। सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी बनना है तो प्रश्न निर्माण करो। जिज्ञासा को और बढ़ाओ उत्तर अवश्य मिलेगा। तुम्हारे प्रश्न में ही उत्तर हैं प्रश्न पर विचार करो। जिज्ञासा को और बढ़ाओ प्रश्न निर्माण करो। अरुणा कालिया

आज सुबह

आज सुबह ने दिया बारिश को न्यौता बारिश ने स्वीकारा मज़बानी का न्यौता। झमाझम धमाधम बरसा पानी मेघ दहाड़ा। कण-कण भीगा धरती हुई अब बेहाला। सड़कें, खेत-खलिहान सब सब ऐसे डूबा जैसे प्रकृति के प्रकोप का विस्फ़ोट हुआ। अरुणा कालिया

ठहराव

मुसीबतें झेलता व्यक्ति ठहराव के पड़ाव में रुककर जब चलता है एक नई शक्ति के स्फुरण के साथ पुनः खड़ा होता है। एक ऐसे जलज़ले को जन्म देता है जिसमें प्रलय से नवनिर्माण होकर नए सूरज का प्रादुर्भाव होता है। अरुणा कालिया

यादों के पन्ने

ज़िंदगी की यादों के पन्ने बिखरते हुए देखा जब जब समेटना चाहा और बिखरते गए। कठिन डगर होती है यादों के पन्नों से गुज़रना। ज़िंदगी की क़िताब के पन्नों को लिखने में उम्र गुज़र जाती है हर लम्हा लिखते-लिखते। अरुणा कालिया 

दर्पण

तारीफ़ का कण मन में रख उम्मीद रख जी रही अरसे से युग बीत रहा कमियां देखें सब तारीफ़ शब्द से इतना परहेज! दर्पण देखूं हर कोण से निहारूं कमी कोई खुद में न ढूंढ़ पाऊं। मन के कोने से आई आवाज़ प्रकृति सुंदर सब कहें,क्या राज़। प्रकृति ज़रूरत सबकी पूरी करें संसाधन जुटाती भूख मिटाती। इससे सुंदर भाव दिखलाती ख़ास। अरुणा कालिया

स्वतंत्रता दिवस पर बधाई

स्वतंत्र आवाज़ वही जो आगे बढ़ने को प्रेरित करती है। सहायता वही जो संकट में घर तक पहुंचाती है । कड़क आवाज़ वही जो दुश्मन को सीमा से खदेड़ती है। बुलंद आवाज़ वही जो राष्ट्र के जन जन तक पहुँचती है। देशभक्ति वही जो स्वार्थहीन होकर देश को समर्पित है।

एक अपील

एक अपील-- स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं हम सभी अपने अपने तरीके से अपने देश का मान अवश्य करते हैं, कोई कम या अधिक।  अपने देश का अपमान कोई नहीं करता,पर हम सब अपने अपने काम में इतने व्यस्त हैं कि जाने अनजाने में कितनों का अपमान कर देते हैं। परन्तु पंद्रह अगस्त को या उसके बाद भी यदि आपके या हमारे हाथ में तिरंगा झंडा आए तो कृपया उसे ज़मीन पर न गिरने दें या फिर नीचे गिरा हुआ तिरंगा झंडा देखें तो उसे ज़रूर उठा कर कहीं ऊँचे स्थान पर रख दें। यही जाग्रति देश के प्रति सच्ची श्रद्धा होगी। जय हिन्द वन्देमातरम् अरुणा कालिया 

कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई🙏🙏 राधा-कृष्ण प्रेम संदेश फैलाया प्रेम की पराकाष्ठा धर्म स्थापना सुदामा संग बचपन की मित्रता अर्जुन को षडयंत्र से सदा चेताया। ईश्वर निर्मल निश्छल प्रेम में बताया। हृदय की कोमलता में ही समाया कठिन तपस्या की ज़रूरत नहीं ईश्वर सच्ची एक पुकार पर आते आडंबर में न ढोल-मंजीरे में, ईश्वर भक्त की भक्ति भाव से आते। अरुणा कालिया

जीवन मंत्र

जीवन का सार जीवित रहकर कठिनतम परिस्थितियों से उभरना जीवन बचाकर जीवन आगे बढ़ाना जीवन जीते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ना। जीवन मंत्र के ध्येय को जीवित रखना।

प्रकृति के रंग

 प्रकृति ने संसार को रंगों से रंग दिया कलम ने रंगों को नाम दिया। प्रकृति ने संसार को अलंकृत किया कुसुमित सुरभित रूप दिया।

नाथ

अनाथ और सनाथ में एक बात सामान्य है नाथ शब्द दोनों में समान रूप से प्राप्य है नाथ साथ है,पर नाथ से प्रसन्नता अप्राप्य है। नाथ मृग की कस्तूरी है, पर ढूंढ़ना अक्षम है। अरुणा कालिया

पत्थर

पत्थर को अपनी ठोकर से न हटा पत्थर को अपनी ताक़त तो बना। पत्थर सदा चोट ही नहीं करते हैं, पत्थर बंधु बन सहाय भी होते हैं। पत्थर ठोकर का सबब शत्रु नहीं मील का पत्थर बन रास्ता बताते। तू मील का पत्थर का सबब बन भूले राही का सहाय बन राह दिखा। पत्थरों पर एक बार चलकर देख कठिनाइयों को पार करना सिखाते। अरुणा कालिया

मौसम

मौसम का मिजाज़ बदलने लगा है कहर ढाने का इरादा लगने लगा है। महाराष्ट्र में बना बहती नदी का नज़ारा नाव शहरों गलियों में, वीभत्स नज़ारा। पहाड़ों पर भी पहाड़ों का खिसकना जारी हुआ, जीना सबका बेहाल हुआ। मलबा मिला नदी का भी रंग बदला मिजाज़ देख दिल दहलने लगा है प्रकृति- प्रकोप समझ आने लगा है। मनुष्य का कृत्य, प्रकृति का संताप दोनों संतुलन निश्चित बिगड़ने लगा है। अरुणा कालिया

गुणगान श्री राम जी का

जिस मन में श्री राम बसे उस मन में बैर नहीं जग सारा मित्र समान शत्रु शत्रुता छोड़ जाहीं। राम नाम में आठ सिद्धि नव निधि छिपी जान सके तो जान राम नाम लगन लगी। राम भक्त हनुमान हैं जाके हृदय राम सोई जग वैरी न होई जाके सिर पे राम। राम नाम सदा सुखदाई राम भक्त कहां दुखपाई। सुख-दुख एक समाना ज्ञानी होए सोई जान पाई। राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट अंत काल पछताएगा प्राण जाएंगे छूट। सिया राम का विश्वास मन मजबूत करें निर्बल के सहाय बन सबल समूल बनें। राम नाम की ताक़त बड़ी निराली जिसने जानी वही है अद्भुत ज्ञानी। रामलला ठुमक-ठुमक चलैं,गिरत-उठत जात ह्वै। मात पिता देख देख मन हरषै,वारी वारी जात ह्वै। राम नाम का बाण जिसके पास है जगत विजेता बन जग का आधार है। मन का मंदिर है तुम्हारे पास राम बसे हैं मन मंदिर में खास। राम की महिमा अपरम्पार है, राम नाम जिह्वा पर उसका बेड़ा पार है,उसपर राम की कृपा अपार है। अरुणा कालिया

अयोध्या नगरी

मैं अयोध्या नगरी,फूली नहीं समाई है नवनिर्माण पर खुशी दुगुनी हुई जताती, रामजन्म भूमि आज सैंकड़ों वर्ष पश्चात इतिहास दोहराते फ़िर से जगमगाई हैं । राम मंदिर नवनिर्माण नींव समारोह से जन जन मंगल गीत की गूंज आई है। मै अयोध्या नगरी,फूली नहीं समाई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हाथों नींव रख, एक और इतिहास रच आई है। मैं अयोध्या नगरी फूली नहीं समाई है। अरुणा कालिया

राम लला की जन्मस्थली

राम नाम से गूंज रहा जन जन में शोर मचा रघुवर की झाँकी सजी मंगल गीत गाओ सखी। ठुमक ठुमक पांव धरें पैंजनी बाजत डोल रहे अवध के बालक चारी। राम लला जी की जन्म स्थली  दृश्य अद्भुत छटा भव्य मनोहारी जगमगाई जन्मस्थली लागे निराली राम लला आ रहे ठुमक ठुमक पग धरी। भूमि पूजन समारोह रच रहा इतिहास अयोध्या के खुले भाग्य भारत में आज सुनवाई हुई अयोध्या परिसर की आज मंगल गीत गा रहे सब नर नारी आज बोलो जय श्री राम जय श्री राम जय जय। 492 वर्ष बाद रचा जा रहा इतिहास भव्य भूमि पूजन समारोह बधाई बाजे। बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई बधाई अरुणा कालिया

शब्द-सौष्ठव

शब्द-सौष्ठव निराला मतवाला चंदा सा सुंदर , चंदन सा ठंडा शब्द मौन रह प्रभावित करते मीठे बोल बन मन मोह लेते। कड़वे बोल बाण सी पीड़ा देते। शब्दों का बल देखो शब्द ही  परायों को अपना बना लेते , शब्द पल में पराया बना देते शब्द ही हमारे मित्र, वही शत्रु शब्द-सौष्ठव मित्र सा बल देते सहायक बन सबल बना देते शब्द-बाण बन निर्बल बनाना  कदापि  इनका ध्येय नहीं। अरुणा कालिया

दोस्ती

दोस्ती किताबों में लिखी कहानी नहीं दोस्ती किसी नाटक का किरदार नहीं दोस्ती एक सच्चाई है,हमारा अक्स है। दोस्ती अनमोल है खुदा की नियामत है खुदा की दी हुई अनमोल इबादत है। बहुत से बदनसीब हैं दुनिया में ऐसे जिन्हें दोस्त की दोस्ती नसीब नहीं खुदा की इबादत जिन्हें नसीब नहीं हम भी उन्हीं बदनसीबों में से हैं जिन्हें खुदा की ऐसी नियामत नसीब नहीं। हमारा भी दोस्त कोई,हमराज़ नहीं। यदि आपका कोई दोस्त है,हमराज़ है नाराज़ न करना,रूठकर जाने न देना। अरुणा कालिया 

गुनहगार

कहीं रातें गुनहगार हैं  दिन की  कहीं दिन गुनहगार हैं  रातों के।  कहीं सूर्य चन्द्र के कहीं चन्द्र  सूर्य के।  कहीं न कहीं कोई न कोई  गुनहगार है,  हर जो किसी न किसी की  राह रोकता है।  अरुणा कालिया