कोशिशें
काव्याँचल मंच को नमन 🙏
कविता का शीर्षक है --- 'हमारी कोशिशें.. '
कोशिशें खुद को खुद से मनाने की
कोशिशें खुद को खुद से जताने की |
कोशिशें पस्त मत होने देना ,
खुद को खुद से यकीं दिलाने की ,
बहुत सी बातें बाकी हैं अभी
खुद को खुद से परिचित कराने की |
हैरान मत होना
अपने अंदर कुछ अपरिचित सा
कुछ अनजाना सा बदलाव देखकर ,
कुछ जाना सा ठहराव जानकर |
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी ,
खुद को खुद से परिचित कराने की
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी |
अपने देश से गंदगी हटाने की
बेकार प्लास्टिक को समूल मिटाने की
चलो नया करें आविष्कार
वैज्ञानिक विधि से मिटा कर,
खुद को उदाहरण बनाएं चलो|
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी ,
खुद को खुद से परिचित कराने की|
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी |
पहल खुद से ही कर लो
क्यों देखें हम औरों को
दूसरे भी शायद इसी इंतज़ार में हैं
किसी का अनुसरण करने को ,
कुछ ऐसी कर जाएं पहल
अनुकरणीय बन जाएं खुद हम |
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी,
खुद को खुद से परिचित कराने की
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी |
प्रण लें खुद को खुद से
वचनबद्ध होने का ,
न फेंकेंगे न फेंकने देंगे
कोई भी टुकड़ा प्लास्टिक का
कहीं भी आते जाते राह में|
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी
खुद को खुद को परिचित कराने की |
दृढ़संकल्प ही पूरा कर सकता है
संकल्प जो लिया महात्मा गांधी ने
पूरा करने माननीय मोदी जी ने,
आज से अभी इसी पल से
मैने भी लिया है दृढ़संकल्प
मेरे साथ सहयोगी बनें आप भी
क्योंकि बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी
खुद से खुद को परिचित कराने की
बहुत सी बातें बाक़ी हैं अभी ||
प्रमाणित किया जाता है कि यह प्रस्तुत कविता स्वरचित, अप्रकाशित, मौलिक तथा किसी भी मंच नहीं सुनाई गई है |
📝अरुणा कालिया
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