आज की नारी

आज की नारी ,
कभी न हारी 
 स्नेह लुटाती ,
स्नेह की मारी 
अपमान का घूँट 
पी-पी कर 
 जीवन के कटु 
अनुभव पाती| 
 आज की नारी 
ममता लुटाती 
संतान की आँखों 
के कोर तक 
स्वयं का अक्स 
ढूंढ़-ढूंढ़ कर 
अपना वजूद 
बचाती रहती|

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