सम-विषम पर कुछ विशेष

आज पहली बार राजनीति से संबंधित कुछ लिखने का विचार मन में कुलांचे भर रहा है ।
 आजकल जो सम-विषम नंबर की गाड़ियों का नया चलन शुरू किया गया है,तथा वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने का जो अथक् प्रयास केज़रीवाल जी ने किया है,वास्तव में तारीफ के काबिल है।कामयाबी मिलना या न मिलना बाद की बात है। शुरूवाद तो की।आपने"कर्मण्यवाधिकारस्तेमाफलेषु कदाचन् "   को चरितार्थ किया है। केज़रीवाल जब-जब रेडियो पर या टी.वी. पर विज्ञापन के रूप में बोलते हुए नज़र आते हैं तो अनायास ही मुझे महात्मा गाँधी जी का डांडी मार्च स्मरण हो आता है।किस प्रकार वे अकेले ही नमक आंदोलन को कामयाब करने निकल पड़े थे।जैसे जैसे वे आगे बढ़ते गए, लोग उनके साथ जुड़ते गए,और नमक आंदोलन को सफलता प्रदान की।
 केज़रीवाल जी आपने जो कदम बढ़ाया है,सही दिशा की ओर बढ़ाया है।पहल करना बड़ी हिम्मत की बात होती है।लोग अच्छा सोचते तो हैं पर क्रियान्वित करने में साल-दर-साल लगा देते हैं ।आपने अपनी सोच को क्रियान्वित करने में अधिक समय नहीं लगाया,यह सबसे बड़ी बात है।  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेघ आए, पाठ योजना

उगता सूरज

प्रसिद्ध धार्मिक-पुस्तकें पढ़नी ही चाहिए- (लेख )