सूर्योदय
उगता सूरज जिधर सामने,
उधर खड़े हो मुँह करके ,
ठीक सामने पूरब होता,
पीठ पीछे है पश्चिम,
बाँय तुम्हारे उत्तर होता
दाँय तुम्हारे दक्षिण।
चार दिशाएं होती हैं यूँ
पूरब, पश्चिम,उत्तर,दक्षिण।
बचपन में याद किया जो
भूल न पाय कभी हम
ऐसी रटी, ऐसी रटी
ऐसी रटी, ऐसी रटी
साथ निभाती हर पल
जब जब उगता सूरज
बोल जुबाँ पर आते झटपट
अब कविता यह अनमोल है।
हर युग में छोड़ जाती
अपना यह मोल है।
मेरे साथ अब तुम भी बोलो
जो कविता के बोल हैं ।.....
......
जब जब उगता सूरज
बोल जुबाँ पर आते झटपट
अब कविता यह अनमोल है।
हर युग में छोड़ जाती
अपना यह मोल है।
मेरे साथ अब तुम भी बोलो
जो कविता के बोल हैं ।.....
......
उगता सूरज जि-----------।
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