चित्रकारी

सूर्य का आगमन स्वीकारा लहरों ने
स्वयं को रंग दिया मनु सूर्य रंग में
रस रचा रग-रग में,खिला कण-कण ये,
देखकर मन डोला, हिलोरे उठी तन में।
तन्हा था मन, चित्रकारी में ऐसे रमा,
ब्रश की नोक से टटोलने लगा हो मन जैसे।

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