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जनवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सूर्योदय

उगता सूरज जिधर सामने, उधर खड़े हो मुँह करके , ठीक सामने पूरब होता, पीठ पीछे है पश्चिम, बाँय तुम्हारे उत्तर होता दाँय तुम्हारे दक्षिण। चार दिशाएं होती हैं यूँ पूरब, पश्चिम,उत्तर,दक्षिण। बचपन में याद किया जो भूल न पाय कभी हम ऐसी रटी, ऐसी रटी साथ निभाती हर पल जब जब उगता सूरज बोल जुबाँ पर आते झटपट अब कविता यह अनमोल है। हर युग में छोड़ जाती अपना यह मोल है। मेरे साथ अब तुम भी बोलो जो कविता के बोल हैं ।..... ...... उगता सूरज जि-----------।

अनेकता में एकता

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अनेकता में एकता अखंड भारत की विशेषता प्रत्येक भारतीय अपने अंदर सरदार वल्लभ भाई पटेल को महसूस करे , और देश को खंडित होने से बचाने के लिए स्वयं को तत्पर रखे।निजी स्वार्थ एवं निजी उन्नति के साथ-साथ देश की प्रगति में निरन्तर अपना सहयोग देने की बात कभी न भूले।देश की एकता में ऐसे तल्लीन हो जाएं कि देश को खंडित करने वाला इतना डरे,इतना डरे कि खंडित करने की बात भी अपने मनमें न आने दे । ऐसे में हम लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को अपने आप में ढूँढ लायेंगे ,जिन्होंने आज़ादी के समय देश के खंडित होते राज्यों को खंडित होने से बचा लिया था ।जब एक व्यक्ति इतना बड़ा कार्य मन के दृढ़ संकल्प से कर सकता है तो क्या सवा सौ करोड़ भारतीय आतंकवाद को जड़ से नहीं उखाड़ फेंक सकते ? आवश्य ऐसा कर सकते हैं, आवश्यकता है तो सिर्फ अपने कर्तव्य को समझने की।किसी आदेश का इंतजार हमें नहीं करना है, क्योंकि हमारे कर्तव्य हमें स्वयं ही समझने हैं।अगर इस देश को हम अपना घर समझते हैं तो अपने घर के प्रति हमारे कर्त्तव्य भी हम कभी नहीं भूल  सकते। जय हिंद,जय भारत मेरे देश की शान ,मेरी शान
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Happy Independence Day to All INDIANs  

Happy Lohri

Dear friends Happy lohri to everyone मित्रों! किसी भी त्योहार को मनाने का आनन्द दुगुना हो जाता है जब हम परिवार के साथ मिलकर एक वादा करते हैं कि कोई एक बुरी आदत को दूर करने का संकल्प लेना है।इस समय में लिया हुआ संकल्प सभी खुशी-खुशी मान लेते हैं क्योंकि इस समय मन प्रफुल्लित होता है ।कुछ अच्छा करने को मन पहले से तैयार रहता है। जैसे कि आज मैं अपने बेटे से एक वादा लेने वाली हूँ कि वह जब भी अल्मारी या टेबल की ड्रार खोले तब खोलने के बाद वापिस बंद करने की आदत बनाए।खुली अल्मारी या ड्रार न तो देखने में अच्छा लगता है और साथ ही कमरा अस्त-व्यस्त सा भी लगता है । कीट पतंगे से भी बचाव रहता है। तो फिर तय रहा ।अपने-अपने मन में मनन करके देखें कि कौन सी बुरी आदत को हमने आज उखाड़ फेंकना है। 

स्वच्छ-अभियान

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जिसने किया हवा को दूषित,जीव रह सकता कैसे सुरक्षित।   घुटन-भरे परिसर में, मनोविकार है स्वाभाविक। अच्छे-विचार उपजेंगे करो न परिसर प्रदूषित,   अब तो जागो देश-वासियों,हमसे ही है देश-रक्षित।। 1.।। स्वच्छ-अभियान को सफल बनाओ,रहो न पराए बनके ।   यह देश हमारा ही है, अतिथि नहीं हैं हम इसके।   स्वयं से पहल करके,बन जाएं उदाहरण सबके   जनता को जागृत करके,फैलाएं खुशहाली जगमें.।। 2.।।   

Good morning to All -----

Good morning to All ----- TODAY's thought is ---------- Our brain has a lot of varieties, We  could use it brilliantly, Smartly and Greatly.             But             The        Problem             Is:   We have no Time             To             Use             It      Perfectly

दायित्व समाज के प्रति

टी.वी.सीरियल के कथानक से कदापिआभास नहीं हो पाता कि वे समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं।कोई भी चैनल हो, रिश्तों में मिठास की जगह इतनी कड़ुवाहट और नफ़रत दिखाई जा रही है कि घरेलु हिंसा के शिकार और भी भयभीत होते जा रहे हैं क्योंकि हिंसा करने वालों को नित नए-नए तरीके जो इन कहानियों के माध्यम से सुझाए जा रहे हैं।ऐसा जान पड़ता है कि हिंसा करने वालों को और नए- नए उपाय सुझाने में मदद दी जा रही है।         धन कमाने के लिए इंसानियत का गला घोंटना क्या इतना ज़रूरी हो गया है कि कहानी इस हद तक ले जाने की जरूरत पड़ रही है कि सारी मर्यादाओं को लाँघना पड़ जाए......। जो सीढ़ी मान मर्यादाओं को लाँघ कर आगे बढ़ जाए, ऐसी कहानियाँ समाज को गंदगी के सिवा और क्या दे सकती हैं ...........।अखबारों में जब हम इंसानियत को तार-तार करने वाली खबर पढ़ते हैं तब ऐसा लगता है कि हाथ से सबकुछ निकलता जा रहा है। नियम-कानून सब ताक पर लग गए हैं ।भारत का संविधान जैसे किंकर्तव्यविमूढ़ सा हो गया है । कभी-कभी आज के हालात हमें सोचने को मजबूर कर देते हैं कि कहीं आज की पीढ़ी को कंप्यूटर थमा कर कोई गलती तो नहीं कर द...

सम-विषम पर कुछ विशेष

आज पहली बार राजनीति से संबंधित कुछ लिखने का विचार मन में कुलांचे भर रहा है ।  आजकल जो सम-विषम नंबर की गाड़ियों का नया चलन शुरू किया गया है,तथा वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने का जो अथक् प्रयास केज़रीवाल जी ने किया है,वास्तव में तारीफ के काबिल है।कामयाबी मिलना या न मिलना बाद की बात है। शुरूवाद तो की।आपने" कर्मण्यवाधिकारस्तेमाफलेषु कदाचन्  "   को चरितार्थ किया है। केज़रीवाल जब-जब रेडियो पर या टी.वी. पर विज्ञापन के रूप में बोलते हुए नज़र आते हैं तो अनायास ही मुझे महात्मा गाँधी जी का डांडी मार्च स्मरण हो आता है।किस प्रकार वे अकेले ही नमक आंदोलन को कामयाब करने निकल पड़े थे।जैसे जैसे वे आगे बढ़ते गए, लोग उनके साथ जुड़ते गए,और नमक आंदोलन को सफलता प्रदान की।  केज़रीवाल जी आपने जो कदम बढ़ाया है,सही दिशा की ओर बढ़ाया है।पहल करना बड़ी हिम्मत की बात होती है।लोग अच्छा सोचते तो हैं पर क्रियान्वित करने में साल-दर-साल लगा देते हैं ।आपने अपनी सोच को क्रियान्वित करने में अधिक समय नहीं लगाया,यह सबसे बड़ी बात है।  

इबादत की बात है।

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बिन साहस के कुछ भी पाना असंभव बात है। बिन चाहत इश्क करना असंभव बात है. यूँ ही नहीं कहते लोग,जहाँ चाह वहाँ राह है। अगर देखो किसी महिला को  घर की चौखट लाँघकर  कार्य-क्षेत्र की ओर बढ़ते हुए , समझ लीजिए ,इबादत की बात है। बहुत बड़े साहस की बात 9871820997.blogspot.in है किसी महिला का घर से बाहर कदम बढ़ाना,वह भी अपनी लीक से हटकर कार्य करने के लिए ,साहस जुटाना भी बड़े साहस की बात होती है ,

अपनापन

मन वैरागी सा ढूँढे उस पल को ,  हर दम।  ढूँढ रहा क्या जाने न  मन वैरागी सा। बचपन बीता,यौवन बीता,  बढ़ते-बढ़ते बड़े हो गए हम पर मिला नहीं वह खोया पल। मन वैरागी सा ढूँढे उस पल को  हर दम। नयन खुले हों या हों बंद , उद्विग्नता हुई न कुछ कम। विडम्बना यह कि जानता नहीं मन  किस बात का है ग़म क्यों ढूढे वह पल . मन वैरागी सा ढूँढे उस पल को हर दम। मिल जाता गर वह खोया पल जिसने चुरा लिया था हमसे हमारा वह अपनापन। जिसने रुलाया हमें जीवन भर। मन वैरागी सा ढूँढे उस पल को हर दम। एक शख्सियत खो दी थी हमने जिसे कहा था 'माँ' उस पल  नेत्र हैं कि थकते नहीं,  ढूँढते रहते हैं हर दम। मन वैरागी सा ढूँढे उस पल को हर दम। जग में दिखते कितने अक्स पर दिखता कहीं न अपनापन। आत्मीयता  दिख जाए गर अपना हो जाए सारा जग। मन वैरागी सा ढूंढे उस पल को हर दम। माँ सा दे जाए दुलार ज़रा सा छू जाए एक बार पवन की ठंडी लहर बनकर या बारिश की फ़ुहार। मन वैरागी सा ढूँढे उस पल को हर दम।

creative topics: सुंदरता क्या है

creative topics: सुंदरता क्या है : - जिसे हम आँखों से देख सकते हैं। - जो हमारे लिए उपयोगी है। - जिससे जीवन जीने की प्रेरणा मिले। - जिसे देख हमारे कष्ट कम हो सकें। ...

वही सुंदर है...

- जिसे हम आँखों से देख सकते हैं। - जो हमारे लिए उपयोगी है। - जिससे जीवन जीने की प्रेरणा मिले। - जिसे देख हमारे कष्ट कम हो सकें। - जो हमारी थकान को कम कर सके। -जो आँखों को सुन्दर भले न लगे,   परन्तु  जीवन दायिनी हो। -इसलिए जो आँखों को दिखाई दे   वही सत्य है-जो सत्य है वही शिव है, -जो शिव है अर्थात् कल्याण कारी है -वही सुंदर है।

चित्रकारी

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सूर्य का आगमन स्वीकारा लहरों ने स्वयं को रंग दिया मनु सूर्य रंग में रस रचा रग-रग में,खिला कण-कण ये, देखकर मन डोला, हिलोरे उठी तन में। तन्हा था मन, चित्रकारी में ऐसे रमा, ब्रश की नोक से टटोलने लगा हो मन जैसे।