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सकारात्मक सोच

सकारात्मक होना समस्या को दूर करने का सबसे सरल साधन है सकारात्मक सोच ही विघ्नों को हर लेने का सबसे पहला कदम है। सकारात्मक सोच नकारात्मकता को पूर्णतः विध्वंस कर देती है। अतः सोच को सकारात्मकता में बदलना ही जीत का पहला कदम है। अरुणा कालिया

खुशियाँ आती नहीं, हमें खोजनी पड़ती हैं

खोजने से तो भगवान भी मिल जाते हैं, निराश मन को आस-किरण मिल जाती है। पाना-खोना मन की मजबूती-मजबूरी है। ग़म में डूबे रहना हमारी ही सोच होती है। मन से ही मजबूती है, मन ही कमज़ोरी है। मान लो तो हार है, नहीं तो जीता संसार है। ग़मग़ीन दुनिया में ही मत डूबो बाहर आओ खुशियाँ पाने के लिए उन्हें ढूंढना पड़ता है। बिन कोशिश के तो रब भी सहाय नहीं होते। ऐसा होता तो सभी यूंही प्रयासरत नहीं होते। अरुणा कालिया

प्रश्न निर्माण करो

ज्ञान प्राप्त करने से पहले प्रश्न निर्माण करो। जिज्ञासा को बढ़ाने दो, और प्रश्न निर्माण करो। सर्वश्रेष्ठ ज्ञानी बनना है तो प्रश्न निर्माण करो। जिज्ञासा को और बढ़ाओ उत्तर अवश्य मिलेगा। तुम्हारे प्रश्न में ही उत्तर हैं प्रश्न पर विचार करो। जिज्ञासा को और बढ़ाओ प्रश्न निर्माण करो। अरुणा कालिया

आज सुबह

आज सुबह ने दिया बारिश को न्यौता बारिश ने स्वीकारा मज़बानी का न्यौता। झमाझम धमाधम बरसा पानी मेघ दहाड़ा। कण-कण भीगा धरती हुई अब बेहाला। सड़कें, खेत-खलिहान सब सब ऐसे डूबा जैसे प्रकृति के प्रकोप का विस्फ़ोट हुआ। अरुणा कालिया

ठहराव

मुसीबतें झेलता व्यक्ति ठहराव के पड़ाव में रुककर जब चलता है एक नई शक्ति के स्फुरण के साथ पुनः खड़ा होता है। एक ऐसे जलज़ले को जन्म देता है जिसमें प्रलय से नवनिर्माण होकर नए सूरज का प्रादुर्भाव होता है। अरुणा कालिया

यादों के पन्ने

ज़िंदगी की यादों के पन्ने बिखरते हुए देखा जब जब समेटना चाहा और बिखरते गए। कठिन डगर होती है यादों के पन्नों से गुज़रना। ज़िंदगी की क़िताब के पन्नों को लिखने में उम्र गुज़र जाती है हर लम्हा लिखते-लिखते। अरुणा कालिया 

दर्पण

तारीफ़ का कण मन में रख उम्मीद रख जी रही अरसे से युग बीत रहा कमियां देखें सब तारीफ़ शब्द से इतना परहेज! दर्पण देखूं हर कोण से निहारूं कमी कोई खुद में न ढूंढ़ पाऊं। मन के कोने से आई आवाज़ प्रकृति सुंदर सब कहें,क्या राज़। प्रकृति ज़रूरत सबकी पूरी करें संसाधन जुटाती भूख मिटाती। इससे सुंदर भाव दिखलाती ख़ास। अरुणा कालिया