लम्हे

ज़िंदगी थी लम्हे थे
और एक परिंदा .
लम्हे बचाकर
जोड़ता रहा
वह ज़िदगी
जब खर्च करना चाहा
न लम्हे थे
न ज़िंदगी
की मशाल.

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