जो ज़िंदगी भर रुलाते रहे

जो जिंदगी भर रुलाते रहे

वही अब वफा की बात करते हैं
हमारी बदसूरती​ का
मज़ाक उड़ाया जीवन भर
वही नफ़रत मिटाने की बात करते हैं
प्यार​ की एक झलक को तरसते रहे
वे कहते हैं नफरत में क्या रखा है ,
मुहब्बत से पेश आया करो ।
हद तो तब हो गई
जब वे कहने लगे
जिंदगी पल दो पल का साथ है
खुश रहकर बिताया करो ।
दो मीठे बोल ही हैं जो
इंसा को मिलाते इंसा से
नफ़रत करने वाले
क्या ख़ाक जिया करते हैं।
अरुणा कालिया

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