रिश्ते

रिश्तों को निभाने में
कसर न रखना
वे निभाएं या न
तुम जिम्मेदारी से
पीछे न हटना।
कर्म जो हमारा
कर्म करते जाना
रिश्ते हैं हमारे
हमें ही इसे निभाना।
अरुणा कालिया

टिप्पणियाँ

  1. आज सभी निजी जीवन को महत्व दे रहे हैं, रिश्तों को निभाना एक प्रश्नचिन्ह बनता जा रहा है, जिसमें सुधार की अत्यंत आवश्यकता है।

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेघ आए, पाठ योजना

उगता सूरज

प्रसिद्ध धार्मिक-पुस्तकें पढ़नी ही चाहिए- (लेख )