पगडंडियां

                 
पगडंडियों से गुजर
नदी की ओर जाता था
दो किनारे साथ-साथ
देखा किया करते थे, 
लहरों का गिरना उठना 
लहराना साथ-साथ।
आज भी वह पगडंडियां 
हैं जहां तहां।
मगर नदी का लहराना 
थम सा गया है।
नदी का स्वच्छ निर्मल 
जल गंदला गया है।
वह रास्ता जो
पगडंडियों से गुज़र,
नदी की ओर जाता था
आज भी........।

अरुणा कालिया

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