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ओsम् का महत्व

ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् । ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् । ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् । ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् । भज मन ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ओsम् ।         एक दक्षिणी ब्राह्मण  उठते-बैठते ,चलते-फिरते,निरन्तर निष्काम भाव से "ऊँ" का जप किया करते थे।उनको गाने का भी शौक़ था।इसलिए उन्होंने जप को संगीतमय बना लिया था।वे मधुर कण्ठ से गाया करते थे।वे हर समय लयबद्ध जप में तल्लीन रहते थे।एक बार एक सज्जन ने उनसे पूछा,क्या आपको इससे कोई लाभ या चमत्कार जान पड़ा है?तो उन्होंने उत्तर दिया कि और कोई चमत्कार तो नहीं देखा ,परन्तु मुझे अपने जीवन में किसी प्रकार की तंगी अथवा अशान्ति सहन नहीं करनी पड़ी।मुझे जिस वस्तु की आवश्यकता है, वह समय पर सहज में ही मिल जाती है।मेरी गृहस्थी सुखपूर्वक चलती है,यही मुझे एक चमत्कार मालूम पड़ता है। 

भारत का सपूत

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जय जवान जय किसान का नारा दिया जिसने, प्रत्येक सोमवार स्वेच्छा से अन्न-वृत लेना                                       सिखाया जिसने, ऐसे भारत के सपूत ने अपने कर्म से कद ऊंचा                                 कर दिखाया जिसने, भारत-रत्न- लाल-बहादुर साधारण व्यक्तित्व  है जिनका,                                   धारण कर सादा जीवन उच्च विचार  चरितार्थ कर दिखाया                   जिसने।

The world of WORDS

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Every word is true . प्रत्येक शब्द चीख-चीख कर सच्चाई बयां कर रहा है।

सही दिशा में दी गई शिक्षा

एक बार गुरु गोविंद सिंह कहीं धर्म चर्चा कर रहे थे। श्रद्धालु भक्त उनकी धारा प्रवाह वाणी को मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे थे। चर्चा समाप्त होने पर गुरू गोविंद सिंह को प्यास लगी। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा- कोई पवित्र हाथों से मेरे पीने के लिए जल ले आए। गुरू गोविंद सिंह जी का कहना था कि एक शिष्य उठा और तत्काल ही चांदी के गिलास में जल ले आया। गुरु के इन वचनों को अपनी प्रशंसा समझते हुए शिष्य को बड़ी प्रसन्नता हुई।  उसने बड़े गर्व से कहा- गुरुदेव, मेरे हाथ इसलिए कोमल हैं क्योंकि मुझे अपने घर कोई काम नहीं करना पड़ता। वही मेरा और मेरे पूरे परिवार का सब काम कर देते हैं। गुरू गोविंद सिंह जी पानी के गिलास को अपने होठों से लगाने ही वाले थे कि उनका हाथ रुक गया। बड़े गंभीर स्वर में उन्हों ने कहा- वत्स, जिस हाथ ने कभी कोई सेवा नहीं की, कभी कोई काम नहीं किया, मजदूरी से जो मजबूत नहीं हुआ और जिसकी हथेली में मेहनत करने से गांठ नहीं पड़ी, उस हाथ को पवित्र कैसे कहा जा सकता है। गुरुदेव कुछ देर रुके फिर बोले- पवित्रता तो सेवा और श्रम से प्राप्त होती है। इतना कह कर गुरुदेव ने पानी का गिलास नीचे रख दिया।

डेंगू या चिकुनगुनिया का इलाज

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डेंगू का उपचार: आजकल डेंगू एक बड़ी समस्या के तौर पर उभरा है, पूरे भारत में ये बड़ी तेज़ी से बढ़ता ही जा रहा है जिससे कई लोगों की जान जा रही है l यह एक ऐसा वायरल रोग है जिसका मॉडर्न मेडिकल चिकित्सा पद्धति में कोई इलाज नहीं है परन्तु आयुर्वेद में इसका इलाज है और वो इतना सरल और सस्ता है कि उसे कोई भी कर सकता है l तीव्र ज्व ...

इंसान में इंसान को ढूंढो।

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इंसान हो ,इंसानियत को सम्मानित करो ,भगवान ,अल्लाह या ईश्वर अवश्य मिल जाएंगे I tell this to u all from my heart. THIS IS THE INDIA I WANT TO SEE AND WOULD GIVE ALL TO MAKE THIS HAPPEN. To an Indian this picture brings tears to our eyes. O Lord! make our nation ''A heaven free'' from any sort of Communal ism.

Our Daughters

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A daughter is the best thing that can happen to you because a daughter fills you heart with magic and love.. Happy Daughters day 2 all lovely daughters.....😊😀

उपवास अर्थात् संकल्प

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देश से ग़रीबी हटाने का संकल्प लेकर नवरात्र मनाएं। महंगाई कम करने  की कोशिश करते  जाएं। अगर  मन में हो कोई  उपाय हो तो अवश्य बताएं। आओ मिलकर इस नवरात्र संकल्प लें, आप और हम अपने देश से ग़रीबी दूर भगाएं।
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हमारे विचार ही शब्दों का रूप धारण करके आवाज़ बनकर दूसरे के कानों तक पहुंचते हैं । हमारे विचार ही हमारे द्वारा किए जाने वाले कर्मों में दृश्यमान होकर उद्वलित होते हैं। हमारे विचार ही हमारी आदतों में ढल कर हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं। इसलिेए सादा जीवन उच्च विचार धारक  समाज में उच्चतम स्थान प्राप्त करते हैं। हमारे विचारों का ताना बाना ही उच्चतम या निम्नतम होना निर्धारित करता है । इसलिए जीवन का सार ही विचारों का उद्गार है। हमारे विचार ही हमारे सम्मान का प्रतीकात्मक एहसास है।

Women Harassment

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Students of 3D or 2D animations, make a short movie like this,with different theme,but base should be against women harassment.

INDIAN JUDICIAL SYSTEM जहां देर है पर अंधेर नहीं।

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I regained faith in the judicial system along with law enforcement people particularly with media and the people. Once again I salute them

हिन्दी को अपनाओ,हिन्दी का मान बढ़ाओ

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 " हिन्दी दिवस" की हार्दिक शुभकामना हर वर्ष 14 सितंबर को देश में हिन्दी दिवस मनाया जाता है. यह मात्र एक दिन नहीं बल्कि यह है अपनी मातृभाषा को सम्मान दिलाने का दिन।उस भाषा को सम्मान दिलाने का जिसे लगभग तीन चौथाई हिन्दुस्तान समझता है, जिस भाषा ने देश को स्वतंत्रता दिलाने में अहम् भूमिका निभाई. उस हिन्दी भाषा के नाम यह दिन समर्पित है जिस हिन्दी ने हमें एक-दूसरे से जुड़ने का साधन प्रदान किया. लेकिन क्या हिन्दी मर चुकी है या यह इतने खतरे में है कि हमें इसके लिए एक विशेष दिन समर्पित करना पड़ रहा है ?
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I love my kids.I want, GOD help me to teach them for become more responsible.

Congratulations to Sonal Maheshwari to give birth to A Sundari

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Happy to give birth to a small-Sonal May God bless you  May long Happy life  Like these colourful Flowers.             now Many-Many congratulations to you & SHARAD & to the Grand Mother & Father for becoming Dadi & Dada ji. congratulations to whole family .

HAPPY B'DAY TO SOHAM

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मम्मा का दुलारा,पापा का प्यारा है ,दादी दादा की आँखों का तारा है। जब जब दिखती दंतियां मोती सी , गौरवान्वित होते  तेरे जन्मदाता हैं। सदा गौरव दिलाना पिता गौरव को, मान देना सदा मां मोनिका को। बुआ की उंगली पकड़ जाते सैर को, तोतली बातों सेआकृष्ट करते दृष्टि को। आज जन्मदिवस  आपका है, प्रसन्न सारी दुनिया है। आशीषवर्षा कर रहे नानी नाना हैं, जन्मदिन मुबारक, जन्मदिन मुबारक कहता जा रहा सारा जहां है।

HAPPY TEACHER'S DAY

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GOD is my MOTHER, GOD is my FATHER, GOD is my TEACHER, WHO teaches me that GOD is THE NATURE.

वसुधैव कुटुम्बकम्

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इंसान को इंसान में इंसान नज़र आए तभी धरती को कह सकते है वसुधैव कुटुम्बकम्। इसको इतना SHARE करे कि हमारी महेनत रंग लाये.....जय हो धरती के इंसान की ।

बेटी नाम की शख़्सियत

बेटी नाम ही ऐसी शख़्सियत दिल धड़कना सिखाया जिसने वह बेटी ही हो सकती है झंकृत कर दिल के तारों को प्रसन्न होना सिखाया जिसने । रिश्तों की नज़दीकियाँ क्या होती हैं समझाया जिसने । उस बेटी के दूर हो जाने की कल्पना मात्र तड़पाती है स्वार्थी होना न चाहूँ , पर स्वार्थी बन जाती हूँ । इसलिए इक बात राज़ की तुमको आज बतलाती हूँ, जब जब दूर हुई तुम हमसे, चैन नहीं तब पाया है , डरता रहता हृदय सदा, अनजाना खौफ़ सताता है।  याद रखना यह बात सदा, दूर कहीं भी जाओ घर से सतर्कता अपनाना सदा। सज्जनता के भेस में दुर्जन भी हैं यहाँ-वहाँ। आशीष रहेगा साथ सदा रहो तुम जहाँ-जहाँ । घर लौट कर आना हर हाल घर पर मिलेगी पनाह सदा। घर की पहचान यही है, जिसके दरवाज़े खुले हैं सदा,  जिस घर से दो आंखें झांक रही हों,  बांहें फैलाए जहां मां खड़ी हो, स्वागत में तेरे हरदम डटी हो, और भाई को तेरे डांट रही हो ।                 घर की पहचान यही है, जिसके दरवाज़े खुले हैं सदा। सक्षम हो,शिक्षित हो,आधुनिक भी हो, सतर्क होकर कुतर्क को मात देना सदा। आधुनिक हो, ...

कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई और कृष्ण से उलाहना

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    जागो मोहन प्यारे जागो     अब तो निद्रा त्यागो।     बड़ी देर भई,नंद लाला     तेरी राह तके हर बाला     अन्जान नहीं तुम धरती लोक से,     अदृश्य नहीं है कुछ भी तुमसे     फिर क्यों हो  लाचार,     यशोदा के नंदलाल।     वचन दिया था     अविलम्ब आओगे     जब-जब होगा    निर्दोष पर अत्याचार।   अब तो जागो मोहन प्यारे,   अब तो निद्रा त्यागो। माखनचोर नन्दकिशोर कितना और सताओगे इस युग में हमसे दूर कब तक और रह पाओगे। द्रौपदी की पुकार में  दौड़े चले आए थे। आज की नारी की पुकार नहीं पहुँचती है तुम तक राज़ कब तक न बतलाओगे माखनचोर नंदकिशोर कितना और सताओगे          

Happy b;day to Rahul Budhraja

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              जन्म दिवस आया आज खुशियां लाया हजार                  पीछे मुड़कर देखा जब  कल से बढ़कर पाया आज।           विपत्ती से बढ़करअनुभव देता देखा नहीं  कोई विद्यालय आज                 हर पल पढ़ाता पाठ नया देखा नहीं कोई शिक्षक आज     नयी चुनौति का करे जो आह्वान शिरोधार्य वही करता             सफ़लता का ताज।

Happy b'day to ARJUN and Happy krishnajanmaashtami

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तिल-तिल कर दिन ढला सांझ हुई फिर सूरज उगा सुनहरी धूप का साम्राज्य सम्पूर्ण धरती पर हुआ। सूरज में जितनी किरणें खुशियां मिलें उतनी अर्जुन तुमको जीवन के हर चरण में।

Happy b'day to MUKUND BADYAL

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25अगस्त का दिन,भाग्यशाली बन गया, जब हुआ मुकुन्द का जन्म इस दिन। बधाई मिली चहुं ओर से, खुशियां बटोर लाया आज एक बार फिर से क्योंकि आज ही है वह खुशियों से भरा दिन।

रक्षा -बंधन की शुभकामनाओं के साथ-

वस्तुतः आज की राखी अपना एक विशेष संदेश रखती है ,उसमें बहन की आकांक्षा है,मां का ममत्व है और राष्ट्र जीवन के निर्बल वर्ग की चीत्कार है। ुउसमें हमारे लक्षावधि भाइयों की गाथा है, क्षत-विक्षत सामाजिक जीवन की सराहना है और वर्ग-भेद,भाषा-भेद, प्रांत-भेद और जाति-भेद के ऊपर उठने के पवित्र संकल्प का संकेत हैं।         कहा जाता है कि महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु के उपरांत अवसर पाकर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया ।विधवा महारानी कर्णवती पर विपदाओं के श्यामल मेघ घिर आए।उसने तुरन्त संदेश-वाहक द्वारा बादशाह हुमायुँ के पास सहायतार्थ राखी भेज दी । कलाई पर राखी बंधते ही हुमायुँ की नसों में बहिन का प्रेम उमड़  आया और तत्काल ऱाखी के सम्मानार्थ दौड़ पड़ा ।इतिहास इस बात का साक्षी है कि रक्षा के सूत्र में बंधे हुमायुँ ने अपने कर्तव्य-पालन में किसी बात की कसर नहीं रखी थी।     आज अगर मालिक-मज़दूर,ग्राहक-विक्रेता, स्त्री-पुरुष,छात्र-अध्यापक,छोटे-बड़े कर्मचारी प्रतिवर्ष इस पर्व पर एक दूसरे के  रक्षक  होने की प्रतिज्ञा दोहराएं...
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HAPPY B'day to Simar 

HAPPY B'DAY TO RAGHAV

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जानने योग्य

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**पानी पीने से दिमाग़ तेज़ चलता है। ** संगीत से दर्द का अहसास कम होता है। **   क्षमता बढ़ानी है तो विटामिन लें। **  हाई ब्लड प्रेशर में दवाएं लेना न भूलें।     ** क्रोध एक ऐसी अग्नि है जो मनुष्य और संसार                      ,दोनों को जलाकर ख़ाक कर देती है।   

दोस्त अन्मोल है

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लज्जयते च सुहृद् येन,भिद्यते दुर्मना भवेत्। वक्तव्यं न तथा किञ्चिद् विनोदे s पि च धीमता।।     अर्थात् अगर आप बुद्धिमान हैं,बड़ी अच्छी बात है,गर्व की बात है परन्तु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं कि आप अपनी बुद्धिमानी से किसी को भी नीचा दिखाएँ या उसकी हँसी उड़ाएँ। अगर आपके सामने आपका मित्र है तो कभी भी मज़ाक में भी ऐसी बात न कहें,  जिससे कि आपका मित्र लज्जित हो और दुःखी होकर आपसे दूर हो जाए।सच्चा दोस्त मुश्किल से मिलता है,इसीलिए कहा गया है कि दोस्त अनमोल है। 

SUURYA KO NAMASKAAR

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pratyek samasya ka samadhaan hai -raushni-means Light.sabke mann ka bhatkaav bhi usi se door ho sakta hai.  SUURYA  KO NAMASKAAR JUGNU KII TARAH JALATE -BUJHATE taaron ke ahankaar ( proud) kii vahi maarak -shakti hai महाभारत  के युद्ध का आरम्भ मन के उलझाव और उससे उत्पन्न विघटनकारी शक्तियों से हुआ था । उसका अंत क्रान्ति की  रक्त पिपासा शांत  होने के बाद सूर्य -चक्र के गतिवान होने से ही हुआ ।    
ओजस्वी प्राणी का स्वरूप प्राणी का ओजस्वी होना अपने आपमें कितना सम्मानजनक शब्द है,यह वही समझ सकता है जो प्राणी मात्र की महत्ता को समझता है।इतना कुछ सीखने को  है कि एक ज़िंदगी भी छोटी पड़ जाए। तर्कशील मानव फिर क्यों संकीर्ण विचारों के साथ जी रहा है।प्यार बाँटो, ज्ञान बाँटो,शिक्षा बाँटो, भोजन बाँटो क्योंकि बाँटने में जो सुख मिलता है वह बेशकीमती वस्तुएँ खरीदने में भी  नहीं मिलता।आज मुझे बचपन का एक वाक्या याद हो आया है............ एक बार की बात है मैं जब मात्र छः या सात साल की थी और दूसरी कक्षा की छात्रा थी।मेरे साथ मेरी ही कक्षा में पढ़ने वाला एक छात्र था जिसका नाम था दीपक भारद्वाज।हम हमेशा साथ-साथ ही कक्षा में बैठते थे। उसका घर भी हमारे घर से कुछ ही दूरी पर था। वह अक्सर हमारे घर आ जाया करता था और हम साथ बैठकर कक्षा में मिला गृह-कार्य करते थे।कुछ दिन यह सब बड़े अच्छे-ढंग से चलता रहा ,पर अचानक एक दिन मेरे पापा को पता नहीं क्या लगा कि वे हमें अलग करने की कोशिश में लग गए ।वह जब भी घर आता तो पापाजी झूठमूठ ही कह देते, "गुड्डी घर पर नहीं है,बेटा ,आप अपने घर पर बैठकर ही होमवर्क क...

स्वस्थ रहो ,खुश रहो

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संसार में आज हम जीवित हैं  इसलिए नहीं कि हम भोजन भरपेट ले रहे हैं बल्कि इसलिए कि हम स्वस्थ वातावरण में सांस ले रहे हैं । स्वस्थ वातावरण का तात्पर्य प्रदूषण रहित वातावरण ही नहीं बल्कि स्वस्थ पारिवारिक वातावरण भी है ।

देववाणी

दविद्युतत्या रुचा परिश्तोभन्त्या कृपा | सोमाः शुक्रा गवाशिरः | अर्थात,सौम्य शुद्ध तथा इन्द्रियों को वश में रखने वाले उपासक जन प्रकाशभान क्रान्ति और सर्वत्र प्रशंसित सामर्थ्य से युक्त रहा करते हैं |     सरल भाषा में अर्थ  ः         जो शुद्ध और पवित्र मन रखता है,तथा इंद्रियों को भटकने से बचा लेता है, ऐसा         व्यक्ति वास्तविकता में ईश्वर का सच्चा उपासक है ,भले ही वह नियमित रूप से पूजा-पाठ करे या न करे।        ऐसा व्यक्ति समाज में चहुँ ओर ज्ञानरूपी प्रकाश को फैलाता है तथा ऐसा व्यक्ति सब ओर  से  प्रशंसा               प्राप्त करता है और सब सुविधाओं से युक्त जीवन व्यतीत करते हैं।

Bharat Bhaavna Divas

Bharat Bhavna Divas ke mauke par ek Kavita par sab ka dhyan kendrit karne ka prayas karna chahati hoon. KAB JAAYEGA BACHPANA मैं ,  विभिन्न जातियों के विभिन्न रंगों के  फूलों को पौधों को ,अपने में संजोए हुए  खड़ा हूँ  कब से इस पृथ्वी पर  मानवों के बीच । दुःख -सुख के  प्राकृतिक आवागमन में  होता नहीं विचलित कभी  और न विमुख कभी । मनुष्य की देख -रेख में  रहता हूँ मगर  विडम्बना कि  मानव मुझसे  नहीं लेता सीख । जाति भेद की नीति  वर्ग विशेष की बीथि  युगों से खड़ी है  जहाँ तहाँ  अनेक आये  समाज -सुथारक  मगर कुरीतियों ने ले लिया  और रूप नया । मैं , बागीचा हूँ  धरती की शोभा हूँ । मानव -स्वभाव पर  रोता हूँ  फूलों को रोंदता है  काँटों को समेटता है  कब जाएगा मानव  तेरा यह बचपना ।