हमारे विचार ही शब्दों का रूप धारण करके आवाज़ बनकर दूसरे के कानों तक पहुंचते हैं ।
हमारे विचार ही हमारे द्वारा किए जाने वाले कर्मों में दृश्यमान होकर उद्वलित होते हैं।
हमारे विचार ही हमारी आदतों में ढल कर हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं।
इसलिेए सादा जीवन उच्च विचार धारक  समाज में उच्चतम स्थान प्राप्त करते हैं।
हमारे विचारों का ताना बाना ही उच्चतम या निम्नतम होना निर्धारित करता है ।
इसलिए जीवन का सार ही विचारों का उद्गार है।
हमारे विचार ही हमारे सम्मान का प्रतीकात्मक एहसास है।

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