वसुधैव कुटुम्बकम्

इंसान को इंसान में इंसान नज़र आए तभी धरती को कह सकते है वसुधैव कुटुम्बकम्।

इसको इतना SHARE करे कि हमारी महेनत रंग लाये.....जय हो धरती के इंसान की ।

टिप्पणियाँ

  1. काश ! इस धरती पर मनुष्य के अंदर इतने ज्ञान का प्रकाश हो कि सब धर्म ,जाति ,वर्ण -भेद , तथा ऊँच-नीच के भेद को भुला कर मनुष्यता को सर्वोपरि मान कर चलें।

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