pratyek samasya ka samadhaan hai -raushni-means Light.sabke mann ka bhatkaav bhi usi se door ho sakta hai.
SUURYA KO NAMASKAAR
JUGNU KII TARAH JALATE -BUJHATE taaron ke ahankaar ( proud) kii vahi maarak -shakti hai
महाभारत के युद्ध का आरम्भ मन के उलझाव और उससे उत्पन्न विघटनकारी शक्तियों से हुआ था । उसका अंत क्रान्ति की रक्त पिपासा शांत होने के बाद सूर्य -चक्र के गतिवान होने से ही हुआ ।
कक्षा – नवमीं,पाठ योजना पुस्तक – क्षितिज (भाग-1) विषय-वस्तु – कविता प्रकरण – ‘ मेघ आए शिक्षण- उद्देश्य :- ज्ञानात्मक-पहलू कविता का रसास्वादन करना। कविता की विशेषताओं की सूची बनाना। कविता की विषयवस्तु को पूर्व में सुनी या पढ़ी हुई कविता से संबद्ध करना। अलंकारों के प्रयोग के बारे में जानकारी देना। नए शब्दों के अर्थ समझकर अपने शब्द- भंडार में वृद्धि करना। साहित्य के पद्य–विधा (कविता) की जानकारी देना। छात्रों को कवि एवं उनके साहित्यिक जीवन के बारे में जानकारी देना प्राकृतिक सौंदर्य तथा जीव-जंतुओं के ममत्व, मानवीय राग और प्रेमभाव से परिचित कराना। कौशलात्मक-पहलूू स्वयं कविता लिखने की योग्यता का विकास करना। प्रकृति से संबंधित कविताओं की तुलना अन्य कविताओं से करना। मेहमानों की तुलना बादलों से करना। बोधात्मक-पहलू प्राकृतिक सौंदर्य एवं जीव-जगत के व्यवहार पर प्रकाश डालना। रचनाकार के उद्देश्य को स्पष्ट करना। कविता में वर्णित भावों को हॄदयंगम करना। प्रकृति तथा जीव-जंतुओं के प्रति आसक्ति –भाव जागृत करना। प्रयोगात्मक-पहलूू कविता के भाव को अपने दैनिक जीवन के व्यवहार के संदर्भ में जोड़कर देखना। इस क...
उगता सूरज जिधर सामने, उधर खड़े हो मुँह करके , ठीक सामने पूरब होता, पीठ पीछे है पश्चिम, बाँय तुम्हारे उत्तर होता दाँय तुम्हारे दक्षिण। चार दिशाएं होती हैं यूँ पूरब, पश्चिम,उत्तर,दक्षिण। बचपन में याद किया जो भूल न पाय कभी हम ऐसी रटी, ऐसी रटी साथ निभाती हर पल जब जब सूरज उगता बोल जुबाँ पर आते झटपट अब कविता यह अनमोल है। हर युग में पीछे छोड़ जाती अपना यह मोल है। मेरे साथ अब तुम भी बोलो जो कविता के बोल हैं ।..... ...... उगता सूरज जि-----------।
प्रसिद्ध धार्मिक-पुस्तकें पढ़नी ही चाहिए- (लेख ) पुस्तकें हमारी विवेक शक्ति को जहाँ बढ़ाती हैं वहीं जीने का सलीका भी सिखाती हैं।पुस्तकें एक ओर हमारी मित्र हैं तो दूसरी ओर हमारी मार्ग-दर्शिका भी हैं। अच्छा साहित्य हमेशा हमारे ज्ञान को बढ़ाता ही नहीं, और ज्ञान बढ़ाने की जिज्ञासा को निरंतर बनाए रखता है। धार्मिक-पुस्तकें पुरातन से आधुनिकता की ओर ले जाने में पुल का कार्य करती हैं। धार्मिक पुस्तकें हमारी आस्था को मजबूती देने का कार्य तो करती ही हैं ,हमें हमारी संस्कृति से भी जोड़ती हैं , जो संस्कृति हमें हमारे पूर्वजों से मिली है,उस धरोहर को बचाने और सहेज कर रखने का कार्य पुस्तकों के माध्यम से ही किया जा सकता है। लिखित साहित्य ही हमें हमारे प्रारब्ध से जोड़ता है। मानव मात्र ही है जो अपने मूल तक पहुंचने के लिए पुस्तकों का सहारा लेता है, और पूर्वजों से मिली संस्कृति को सहेज कर अगली पीढ़ी तक ले जाता है। भले ही आज ई-पुस्तकों का दौर है ,काग़ज की पुस्तकें हों अथवा ई-पुस्तकें हों, हमारे प्रारब्ध की विस्तृत जानकारी पुस्तकों से ही हमारे वर्तमान तक पहुंची है। मानव-धर्...
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