दोस्त अन्मोल है


लज्जयते च सुहृद् येन,भिद्यते दुर्मना भवेत्।
वक्तव्यं न तथा किञ्चिद् विनोदेsपि च धीमता।।
    अर्थात् अगर आप बुद्धिमान हैं,बड़ी अच्छी बात है,गर्व की बात है परन्तु इसका अर्थ यह बिल्कुल नहीं कि आप अपनी बुद्धिमानी से किसी को भी नीचा दिखाएँ या उसकी हँसी उड़ाएँ।

अगर आपके सामने आपका मित्र है तो कभी भी मज़ाक में भी ऐसी बात न कहें,  जिससे कि आपका मित्र लज्जित हो और दुःखी होकर आपसे दूर हो जाए।सच्चा दोस्त मुश्किल से मिलता है,इसीलिए कहा गया है कि दोस्त अनमोल है। 

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