वह पुष्प

ओस की बूंदों से लथपथ था वह पुष्प
कातर निगाहों से उसने मुझे ज्यों देखा
मानो सर्दी से कांपती सांसों को अपने
आगोश में लेने को कह रहा था वह पुष्प।
उसकी सुंदरता देखने में मैं था मशगूल
कहाँ कर पाया मैं उसका दर्द महसूस।
दूर-दूर से आए थे लोग उसे देखने
ओस लिपटा पुष्प दर्द से था मजबूर।
अरुणा कालिया

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