मन का उजाला

मन का उजाला

बाहर उजाला भी मन का ही उजाला है
वरना ठोकर लग जाती है।
ठोकरें मन का तम दूर कर सचेत करती
ठोकरें तो रोशनी में लग जाती हैं।
अरुणा कालिया

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