हिमालय की चोटियाँ ( कविता)
हिम से आच्छादित
हिमालय की चोटियाँ
आकाश को छूना चाहें
मेरे देश का मान बढ़ाकर
विश्व में उच्च स्थान दिलाए
शीशमुकुट बनकर
देश की शोभा सरसाए
प्राकृतिक सुंदरता का
भंडार है इसमें
हरियाली का कारण कहलाए
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय
दुश्मन के छक्के छुड़ाए
औषधि का भरपूर भंडार है
देश को निरोग बनाए
पर्वतश्रँखलाएं परिवार है इसका
पार्वती का घर कहलाए
ऋषिमुनि तपकर यहाँ
ज्ञान की ज्योति जगाएँ
हिम से आच्छादित
हिमालय की चोटियाँ
आकाश को छूना चाहें.
हिमालय की चोटियाँ
आकाश को छूना चाहें
मेरे देश का मान बढ़ाकर
विश्व में उच्च स्थान दिलाए
शीशमुकुट बनकर
देश की शोभा सरसाए
प्राकृतिक सुंदरता का
भंडार है इसमें
हरियाली का कारण कहलाए
प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय
दुश्मन के छक्के छुड़ाए
औषधि का भरपूर भंडार है
देश को निरोग बनाए
पर्वतश्रँखलाएं परिवार है इसका
पार्वती का घर कहलाए
ऋषिमुनि तपकर यहाँ
ज्ञान की ज्योति जगाएँ
हिम से आच्छादित
हिमालय की चोटियाँ
आकाश को छूना चाहें.
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