संदेश

मन की ऊहा-पोह

छोटे से मन में इतनी बातें काग़ज़ कलम लेकर बैठें, नदारद हैं अब सारी बातें। कलम, कर में रख विचारों के बादल उमड़-घुमड़ कर शोर करें, पर सार्थक शब्दों को न ढूँढ सकें। किंकर्तव्य-सा मूढ़ मन नेत्र इत-उत डोल रहे बनते-बिगड़ते विचारों को न तौल सकें। सारे विचार इक दूजे में लिपट अव्यवस्थित से हो रहे. क्रम में प्रथम लगा व्यवस्थित कर बता न डोल इहाँ उहाँ ऊहापोह मन की मिटा. अब लिख न पाउँ जो लिखना चाहूँ, काश! कुछ ऐसा लिख जाउँ शोषण से, किसी एक को भी बचा पाउँ, कोई बच्चा न हो शोषण का शिकार न सहे,अत्याचारी का अत्याचार. ध्यान रहे ,न हो उम्र से पहले कोई बेटी बड़ी, खेले गुड्डे गुड़ियों से, न हो जाए बचपन में बड़ी . अपने हिस्से का सुख भोगे प्रफुल्लित मन-से, रिश्तों को निभा,न उलझे ऊहा-पोह में.

प्रसिद्ध धार्मिक-पुस्तकें पढ़नी ही चाहिए- (लेख )

  प्रसिद्ध धार्मिक-पुस्तकें पढ़नी ही चाहिए- (लेख ) पुस्तकें हमारी विवेक शक्ति को जहाँ बढ़ाती हैं वहीं जीने का सलीका भी सिखाती हैं।पुस्तकें एक ओर हमारी मित्र हैं तो दूसरी ओर हमारी मार्ग-दर्शिका भी हैं। अच्छा साहित्य हमेशा हमारे ज्ञान को बढ़ाता ही नहीं, और ज्ञान बढ़ाने की जिज्ञासा को निरंतर बनाए रखता है। धार्मिक-पुस्तकें पुरातन से आधुनिकता की ओर ले जाने में पुल का कार्य करती हैं। धार्मिक   पुस्तकें हमारी आस्था को मजबूती देने का कार्य तो करती ही हैं ,हमें हमारी संस्कृति से भी जोड़ती हैं , जो संस्कृति हमें हमारे पूर्वजों से मिली है,उस धरोहर को बचाने और   सहेज कर रखने का कार्य पुस्तकों के माध्यम से ही किया जा सकता है। लिखित साहित्य ही हमें हमारे प्रारब्ध से जोड़ता है। मानव मात्र ही है जो अपने मूल तक पहुंचने के लिए पुस्तकों का सहारा लेता है, और पूर्वजों से मिली संस्कृति को सहेज कर अगली पीढ़ी तक ले जाता है। भले ही आज ई-पुस्तकों का दौर है ,काग़ज की पुस्तकें हों अथवा ई-पुस्तकें हों, हमारे प्रारब्ध की   विस्तृत जानकारी पुस्तकों से ही हमारे वर्तमान तक पहुंची है। मानव-धर्...

बीती बातें बिसार दे

चल छोड़ न यार पिछली बातों को, अब आगे बढ़ते हैं बीती बातें बिसार कर, कुछ नये अरमान गढ़ते हैं। जो हुआ सो हुआ,गलती न दोहरा, दोस्ती फ़िर से करते हैं नये जोश से नये अरमान से, एक नया इतिहास रचते हैं। कृष्ण-सा सारथी बन, सुदामा की सी दोस्ती करते हैं। शुरू से शुरू करके, चल ,दोस्ती की मिसाल बनते हैं। पिछली बातों को दोहराकर क्या किसी ने सुख पाया है, बिसरा दें पिछली बातों को, नये सिरे से धरातल रचते हैं। अरुणा कालिया 

ओरे मोरे मन

ओरे मोरे मन , राधिका रमण। निसदिन प्रभुगुन गाएजा छिन छिन नेह बढ़ाए जा पल-पल प्रेम बढ़ाए जा। मन गोविन्द-गुण गाए जा। १. वह मन ही क्या मन है जिसमें      गोविंद-प्रेम सा प्रेम न हो ऐसा मन ही क्या जिसमें राधिका रमण सांवली सरकार न हो     मन प्रेम-जन हित नित मन-मीत, प्रभु गीत गाए जा। मन गोविंद गुण गाए जा,,, ओरे मोरे मन राधिका रमण निसदिन प्रभुगुन गाएजा.. २. वह जीवन क्या जीवन है जिसमें     जीवन धन से प्यार न हो।     ऐसा प्यार ही क्या जिसमें पिय सुख में बलिहार न हो श्यामा श्याम मिलन हित नित नैनन नीर बहाए जा। मन गोविन्द-गुण गाए जा ओरे मोरे मन, राधिका रमण निसदिन प्रभुगुन गाएजा.... ३.  पिय मन-भावन प्यारी सुकुमारी वृषभानु दुलारी प्राण रे, चाकर बन नित करे चाकरी सुंदर श्याम सुजान रे। प्रेम-सुधा रस चखन हित मन राधे राधे गाए जा।   मन गोविन्द-गुण गाए जा ओरे मोरे मन, राधिका रमण निसदिन प्रभुगुन गाएजा... ४. ओ रसिया मन बसिया कृष्ण मुरारी     ब्रज मन बसिया जान रे कानन रस नित भरे बांसरी कृष्ण कन्हैया ब्रज प्राण रे सांवरा सलोना घनश्याम नित ...

भज गोविंद भज गोपाला

  भज गोविंदा भज गोपाला राधा के संग - संग नाचे नंदलाला राधा के मन को हरने वाला रास   रचैया   गोकुल वाला ता ता थैया, ता ता थैया 1.दरस के मारे प्यासे नैना   प्यासे नैना तरस गए हैं   दरस बिन बरस रहे हैं   जब से पिया है प्रेम-प्याला   राह तके तेरा गोकुल सारा   रास रचैया , गोकुल वाला   ता ता थैया, ता ता थैया ..... 2.मुरली वाला नंद का लाला   वही है मेरा रखवाला..2     तेरा पावन साथ मिला है   राधा वल्लभ नंद का लाला   तेरा साथ निराला पाया   भज गोविंदा भज गोपाला   रास रचैया गोकुल वाला   ता ता थैया ता ता थैया....  

बीते पल

बीते कटु पल भुलाने मुश्किल हैं कोशिश की जा सकती है। बीते पलों से उभर पाना मुश्किल है कोशिश की जा सकती है। कटु अनुभव से सतर्कता मुश्किल है कोशिश की जा सकती है। कोशिशें ही परिवर्तन में सहायक हैं कोशिश दर कोशिश की जा सकती है। अनुभव से तुरंत मोड़ देना मुश्किल है कोशिश करना हमारे हाथ है, अपना हाथ जगन्नाथ बन जा कटुता से उभर पाना मुश्किल है कोशिश करके तो देख,प्यारे! मानव में ही अद्भुत गुण हैं मानवीय गुणों को अनुभव तो कर प्यारे जग में कुछ भी मुश्किल नहीं एक बार कोशिश करने की हिम्मत तो कर प्यारे! अरुणा कालिया

कोशिश तो कर

बीते कटु पल भुलाने मुश्किल हैं कोशिश की जा सकती है। बीते पलों से उभर पाना मुश्किल है कोशिश की जा सकती है। कटु अनुभव से सतर्कता मुश्किल है कोशिश की जा सकती है। कोशिशें ही परिवर्तन में सहायक हैं कोशिश दर कोशिश की जा सकती है। अनुभव से तुरंत मोड़ देना मुश्किल है कोशिश करना हमारे हाथ है, अपना हाथ जगन्नाथ बन जा कटुता से उभर पाना मुश्किल है कोशिश करके तो देख,प्यारे! मानव में ही अद्भुत गुण हैं मानवीय गुणों को अनुभव तो कर प्यारे जग में कुछ भी मुश्किल नहीं एक बार कोशिश करने की हिम्मत तो कर प्यारे! अरुणा कालिया

हक़ीक़त की चादर

सपनों से बाहर निकल हक़ीक़त की चादर ओढ़  कर्म-क्षेत्र का योद्धा बन जीत अपनी अधिकृत कर। तू अर्जुन है अर्जुन बनकर मार्ग अपना प्रशस्त कर भटकना तेरा काम नहीं मीन अक्ष पर ध्यान धर। अरुणा कालिया