संदेश

कोशिश तो कर

बीते कटु पल भुलाने मुश्किल हैं कोशिश की जा सकती है। बीते पलों से उभर पाना मुश्किल है कोशिश की जा सकती है। कटु अनुभव से सतर्कता मुश्किल है कोशिश की जा सकती है। कोशिशें ही परिवर्तन में सहायक हैं कोशिश दर कोशिश की जा सकती है। अनुभव से तुरंत मोड़ देना मुश्किल है कोशिश करना हमारे हाथ है, अपना हाथ जगन्नाथ बन जा कटुता से उभर पाना मुश्किल है कोशिश करके तो देख,प्यारे! मानव में ही अद्भुत गुण हैं मानवीय गुणों को अनुभव तो कर प्यारे जग में कुछ भी मुश्किल नहीं एक बार कोशिश करने की हिम्मत तो कर प्यारे! अरुणा कालिया

हक़ीक़त की चादर

सपनों से बाहर निकल हक़ीक़त की चादर ओढ़  कर्म-क्षेत्र का योद्धा बन जीत अपनी अधिकृत कर। तू अर्जुन है अर्जुन बनकर मार्ग अपना प्रशस्त कर भटकना तेरा काम नहीं मीन अक्ष पर ध्यान धर। अरुणा कालिया

सपने में सपना

सपने में सपना-- एक रात सपने में देखा एक सपना चांद मिलने आया धरा पर था छाया। आश्चर्य हुआ इतना किंकर्तव्यविमूढ़-सा मेरा मन विचलित-सा हैरां-परेशां डोल रहा मन हतप्रभ-सा,  शरमाया घबराया कुछ समझ न पाया। यथार्थ देख समक्ष कल्पना देख प्रत्यक्ष तैयार न था मन संभाल न पाया पल। वापिस जाने को किया विवश कर-युगल विनती कर क्षमा मांग खड़ी विकल। अरुणा कालिया

ल्हासा की ओर

प्रश्न 1. थोड्ला के पहले के आखिरी गांव पहुंचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश में भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका,क्यों? उत्तर - थोड्ला के पहले के आखिरी गांव तक लेखक के साथ मंगोल भिक्षु सुमति था। उसकी उस गांव में जान-पहचान थी, जिसके कारण भिखमंगो के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला। दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश में घोड़ों पर सवार होने के बावजूद लेखक को ठहरने का उचित स्थान नहीं मिला क्योंकि उसकी वहां कोई जान-पहचान नहीं थी। दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि लेखक शाम के समय वहां पहुंचा था और उस समय वहां लोग छड् पीकर होशो-हवास में नहीं थे। प्रश्न-2. उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था। उत्तर उस समय तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण वहां लोग लाठी की तरह पिस्तौल और बंदूक लेकर घूमते थे। हथियार बंद इन लोगों से यात्रियों को अपने लूटे जाने के साथ-साथ जान से हाथ धोने का भय बना रहता था। प्रश्न-3 लेखक लड्कोर के मार्ग में अपने साथियो...

पगडंडियां

                  पगडंडियों से गुजर नदी की ओर जाता था दो किनारे साथ-साथ देखा किया करते थे,  लहरों का गिरना उठना  लहराना साथ-साथ। आज भी वह पगडंडियां  हैं जहां तहां। मगर नदी का लहराना  थम सा गया है। नदी का स्वच्छ निर्मल  जल गंदला गया है। वह रास्ता जो पगडंडियों से गुज़र, नदी की ओर जाता था आज भी........। अरुणा कालिया

नवीं कक्षा, क्षितिज,प्रश्नोत्तर , दो बैलों की कथा, लेखक: मुंशी प्रेमचंद

प्रश्न 1 . कांजीहौस मेंं पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी? उत्तर : ताकि यह पता लगा सकें कि कहीं कोई जानवर भाग तो नहीं गया है या कोई जानवर मर तो नहीं गया है। दूसरा कारण यह भी हो सकता है कि जब कैद पशुओं के मालिक उन्हें छुड़ाने आएं तब उनसे उतने दिनों का हर्जाना ले सकें। प्रश्न 2. छोटी बच्ची के मन में बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया? उत्तर :-बैलों के साथ किए जा रहे व्यवहार से छोटी बच्ची को स्वयं की छवि नज़र आ रही होगी क्योंकि वह स्वयं भी ऐसे ही व्यवहार को झेल रही थी, उसकी सौतेली मां उसे भूखा रखकर प्रताड़ित करती थी।। प्रश्न 3 . कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति विषयक मूल्य उभर कर सामने आए हैं? उत्तर :-नीति से तात्पर्य है-लोकाचार की वह पद्धति, जिससे अपना भी भला हो और दूसरों का भी भला हो। १. किसी को मारना धर्म के विपरीत है। २. स्त्री जाति पर हाथ नहीं उठाना चाहिए। ३. गिरे हुए और निहत्थे पर वार नहीं करना चाहिए। ४.स्वतंत्रता के लिए निरंतर संघर्ष करते रहना चाहिए।    स्वतंत्रता पाने के लिए अनेक कष्ट उठाने पड़ते हैं       जिसके लिए उन्हें तैयार रहना च...

आहट

बाहर का अनगिनत शोर और उनके आने की आहट पहुँच पायेगी मुझतक!! अंतर्मन की आवाज़ हौले से कह गई कानों में बाहर की आवाजों को अनसुना करके तो देख। तेरे मन में ही है बड़ी निराली ताक़त, सात समुंदर पार की आवाज़ बड़ी आसानी से सुन पाती है। एक बार सुनने की कोशिश और फ़िर देख उसके आने की आहट! उसके दिल की धड़कन भी स्पष्ट सुन पायेगा। अरुणा कालिया