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उगता सूरज

उगता सूरज जिधर सामने, उधर खड़े हो मुँह करके , ठीक सामने पूरब होता, पीठ पीछे है पश्चिम, बाँय तुम्हारे उत्तर होता दाँय तुम्हारे दक्षिण। चार दिशाएं होती हैं यूँ पूरब, पश्चिम,उत्तर,दक्षिण। बचपन में याद किया जो भूल न पाय कभी हम ऐसी रटी, ऐसी रटी साथ निभाती हर पल जब जब सूरज उगता बोल जुबाँ पर आते झटपट अब कविता यह अनमोल है। हर युग में पीछे छोड़ जाती अपना यह मोल है। मेरे साथ अब तुम भी बोलो जो कविता के बोल हैं ।..... ...... उगता सूरज जि-----------।

अदृश्य शक्ति

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जिसने हमको जीना सिखाया जिसने हमको सोचना सिखाया जिसने दुख में हँसना सिखाया जिसने ज्ञान प्रकाश को जगाया हम जिस ईश्वर की संतान हैं आओ हम मिलकर नमन करें उस ईश्वर की शरण चलें. चलें वहाँ जिसने सूरज-रोशनी-सा ज्ञान दिलाया जिसने सुधा-सम प्राण दिलाया जिसने धरती पर सब भोज्य दिलाया आओ हम मिल कर शीश झुकाएँ उस अदृश्य शक्ति के गुण गाएँ ।

दर्द

9871820997.blogspot.in दर्द को गले लगाए बैठे हो , दवा को पास बुलाओ तो कोई बात बने. दर्द से इतना प्रेम! जिसने तुम्हें रुलाया यों उसी को मान दिए जाते हो दर्द की दवा जो बने उससे प्रेम करो तो कोई बात बने. आलस से इतना प्रेम क्यों! मार्ग से भटकाता है जो उसी को पास बैठाए जाते हो . सजग रहो ,चैतन्य रहो कर्मशील बनकर मार्ग प्रशस्त करो तो कोई बात बने . आसान राहें मार्ग में है, समझ लो कहीं तो गलत हम सोचो और मनन करो मीठा ज़हर तो नहीं पी रहे हम। दर्द को मत पालो कहीं तुम्हें दर्द दबोच न ले। दवा से प्रेम करो तो कोई बात बने।

नरेंद्र मोदी जी

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माननीय नरेंद्र मोदी जी बेटियाँ ,बहुएँ दिन पर दिन और अधिक असुरक्षित होती जा रही हैं ,क्यों?? शायद यह सभी जानते हैं कि इस बात को जितना अधिक "हाईलाईट" किया जाता है, समस्या कम होने के बजाए और भी उग्र रूप धारण कर रही है, क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि समाचार के रूप में टी.वी. पर दिखाए जाने का तरीका ही इसे और बढ़ावा देने का काम कर रहा है . एक अनुरोध करना चाहती हूँ कि इससे संबंधित समाचार को कुरेद कुरेद कर दिखाने के बजाए एक समिति बनाई जाए , उदाहरण के लिए सी.आई.डी. जैसी कोई टीम इस पर काम करे ,समाचार के रूप में इस पर कोई प्रतिक्रिया न हो. बल्कि इसे समाचार बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए. ऐसा करना इसलिए अनिवार्य हो गया है क्योंकि जब-जब कोई भी ऐसे समाचार को देखता है , व्यक्ति के मन पर इसका चित्र अंकित हो जाता है , और जब भी व्यक्ति अपने आसपास उतनी ही उम्र की किसी बालिका को देखता है , समाचार के रूप में दिखाया गया चित्र ,जो अचेतन मन में चला गया था , सामने ताज़ा हो जाता है और मन में अवचेतन मन में बैठा राक्षस सिर उठाने लगता है ,यदि मन एक बार कमज़ोर पड़ गया तो राक्षस सिर उठाकर तांडव करने में क...

इबादत की बात है

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बिन साहस के कुछ भी पाना असंभव बात है। बिन चाहत इश्क करना असंभव बात है. यूँ ही नहीं कहते लोग,जहाँ चाह वहाँ राह है। अगर देखो किसी महिला को  घर की चौखट लाँघकर  कार्य-क्षेत्र की ओर बढ़ते हुए , समझ लीजिए ,इबादत की बात है। बहुत बड़े साहस की बात 9871820997.blogspot.in  है किसी महिला का घर से बाहर कदम बढ़ाना,वह भी अपनी लीक से हटकर कार्य करने के लिए ,साहस जुटाना भी बड़े साहस की बात होती है ,

मन की ऊहा-पोह

छोटे से मन में इतनी बातें काग़ज़ कलम लेकर बैठें, नदारद हैं अब सारी बातें। कलम, कर में रख विचारों के बादल उमड़-घुमड़ कर शोर करें, पर सार्थक शब्दों को न ढूँढ सकें। किंकर्तव्य-सा मूढ़ मन नेत्र इत-उत डोल रहे बनते-बिगड़ते विचारों को न तौल सकें। सारे विचार इक दूजे में लिपट अव्यवस्थित से हो रहे. क्रम में प्रथम लगा व्यवस्थित कर बता न डोल इहाँ उहाँ ऊहापोह मन की मिटा. अब लिख न पाउँ जो लिखना चाहूँ, काश! कुछ ऐसा लिख जाउँ शोषण से, किसी एक को भी बचा पाउँ, कोई बच्चा न हो शोषण का शिकार न सहे,अत्याचारी का अत्याचार. ध्यान रहे ,न हो उम्र से पहले कोई बेटी बड़ी, खेले गुड्डे गुड़ियों से, न हो जाए बचपन में बड़ी . अपने हिस्से का सुख भोगे प्रफुल्लित मन-से, रिश्तों को निभा,न उलझे ऊहा-पोह में.

वर्षा, छाया, प्रकृति

झमाझम वर्षा आंगन बगिया सम  मन महका । बच्चे की किलकारी सा किशोर की शरारत सा आज अपना भी मन बहका। छाया छत्र छाया मिले अपनों की फलते फूलते सदा रहो। अपना सा स्पर्श पा नन्हे पौधे सी खिल उठो।         प्रकृति प्रकृति की छाँव में  वात्सल्य सा स्नेह मानव पाए सुकून बालक या वृद्ध भरपूर. बाँहे फैलाए आलिंगन में लेने को तत्पर रहती स्नेहमयी माता स्वरूप.