माननीय नरेंद्र मोदी जी बेटियाँ ,बहुएँ दिन पर दिन और अधिक असुरक्षित होती जा रही हैं ,क्यों?? शायद यह सभी जानते हैं कि इस बात को जितना अधिक "हाईलाईट" किया जाता है, समस्या कम होने के बजाए और भी उग्र रूप धारण कर रही है, क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि समाचार के रूप में टी.वी. पर दिखाए जाने का तरीका ही इसे और बढ़ावा देने का काम कर रहा है . एक अनुरोध करना चाहती हूँ कि इससे संबंधित समाचार को कुरेद कुरेद कर दिखाने के बजाए एक समिति बनाई जाए , उदाहरण के लिए सी.आई.डी. जैसी कोई टीम इस पर काम करे ,समाचार के रूप में इस पर कोई प्रतिक्रिया न हो. बल्कि इसे समाचार बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाए. ऐसा करना इसलिए अनिवार्य हो गया है क्योंकि जब-जब कोई भी ऐसे समाचार को देखता है , व्यक्ति के मन पर इसका चित्र अंकित हो जाता है , और जब भी व्यक्ति अपने आसपास उतनी ही उम्र की किसी बालिका को देखता है , समाचार के रूप में दिखाया गया चित्र ,जो अचेतन मन में चला गया था , सामने ताज़ा हो जाता है और मन में अवचेतन मन में बैठा राक्षस सिर उठाने लगता है ,यदि मन एक बार कमज़ोर पड़ गया तो राक्षस सिर उठाकर तांडव करने में क...