शेर और तोमचा

कक्षा-आठवीं पाठ-शेर और तोमचा विधा-गद्य (कहानी) शिक्षण-उद्देश्य – ज्ञानात्मक- 1. पाठ को एक ही अन्विति में पढ़ाया जाए। 2. पाठ की विशेषताओं की सूची बनाना। 3. नए शब्दों को समझकर छात्रों के शब्द-भंडार में वृद्धि करना। 4. छात्रों को पाठ के लेखक तता उनके साहित्यिक जीवन के बारे में जानकारी देना। 5. छात्र पाठ में प्रयुक्त भाषा तत्वों एवं कठिन शब्दों के शुद्ध रूपों को पहचान कर उनके बारे में प्रत्याभिज्ञान व 6. प्रत्यास्मरण कर सकेंगे 7. साहित्य के गद्य विधा (कहानी ) की जानकारी देना । 8. प्राकृतिक सौंदर्य तथा प्रेम-भाव से परिचित कराना। 9. कहानी की प्रवाहमयी भाषा की जानकारी छात्रों को देना। बोधात्मक- 1. आदर्श वाचन करते समय उच्चारण की दृष्टि से कठिन शब्दों को श्यामपट्ट पर लिखा जाएगा। 2. प्रकति तथा जीव-जंतुओं के प्रति आसक्ति-भाव जाग्रत करना। 3. लेखक के उद्देश्य को स्पष्ट करना। 4. प्रकृति के सौंदर्य को समझना । 5. प्राकृतिक सौंदर्य एवं जीव-जगत के व्यवहार पर प्रकाश डालना । प्रयोगात्मक- 1. कहानी के भाव को अपने दैनिक-जीवन के व्यवहार के संदर्भ के साथ जोड़कर देखना। 2. कहानी के केंद्रीय-भाव को अपने शब्दों में लिखना । 3. लेखकों की रचना की तुलना अन्य लेखकों की रचनाओं से करना । सहायक शिक्षण-सामग्री 1. श्वेत-वृंत्तिका,झाड़न आदि 2. डिस्कवरी-चैनल से शेरों से संबंधित कुछ वीडियो-क्लिप कक्षा में दिकाने के लिये । पूर्व ज्ञान- 1. लेखक के बारे में विस्तार से जानकारी देना। 2. लेखक पाठक तक क्या संदेश देना चाहते हैं,इसकी विस्तृत जानकारी देना। 3. सामाजिक व्यवहार ले अवगत कराना। 4. कहानी में लेखक ने जिस भाषा का प्रयोग किया है,उसके कारण कहानी रोचक बन पड़ी है। 5. कहानी का रोचक होना अत्यंत आवश्यक है ताकि पाठक रुची से पढ़ सके । 6. गाँव के वातावरण से परिचित कराना। 7. मानवीय स्वभाव तथा जीव-जंतुओं के व्यवहार की जानकारी देना । 8. ऊपरलिखित सभी बातों से छात्रों को पाठ समझने में सरलता का अनुभव होता है। पाठ का सार- शेर और तोमचा कहानी एक मणिपुरी लोककथा है जिसमें यह बताया गया है कि पशु भी अपने ऊपर किये गये उपकार का बदला चुकाते हैं बहुत पुराने समय की बात है जब यातायात के साधन बहुत कम थे मणिपुर को भारत से जोड़ने वाली केवल दो ही सड़कें थीं ।उन दिनों तोमचा नामक का एक युवक व्यापार करने दूर-दूर जाता था और कई महीनों बाद अपने नगर लौटता था एक बार की बात है ,तोमचा पंद्रह महीनों बाद अपने नगर मोईराङ लौट रहा था ।रास्ते में एक रात वह नागा जाति के मुखिया के यहाँ रुका और वहाँ से सुबह फिर चल पड़ा ।सुबह का दृश्य बहुत सुहावना था ।तोमचा पने कंधे पर लटकी गठरी में स्वर्ण मुद्राएं और ज़रूरी सामान लेकर जंगल में चला जा रहा था ।वह शाम तक बिशन पुर गाँव पहुँच जाना चाहता था ।दोपहर को अक झरने के किनारे रुक कर उसने नहा धोकर एक बांस काटा और उससे नलकी-नुमा गिलास बनाया ।गिलास बनाते समय उसका हाथ कट गया ,और जिसपर उसने क पौधे के पत्ते लगा लिये ।समतल जगह पर बैठ कर उसने गठरी से निकालकर गुड़- चिवड़ा खाया ।और पानी पीकर वह फिर चल पड़ा ।पहाड़ की चोटी पर पहुँचकर उसे आगे ढलान दिखाई दी ,अब उसे शाम तक बिशनपुर पहुँचने का विश्वास हो गया।थोड़ा आगे पहुँचने पर उसने एक शेर को बैठे देखा ।थोड़ी ही दूर एक जंगली सूअर खड़ा था । तोमचा जानता था कि दोनों में से जो पहले हमला करेगा वही जीतेगा ।उसने शेर की सहायता करने के लिए सूअर के ऊपर क बड़ा सा पत्थर फेंका।सूअर असावधान हुआ तो शेर ने उस पर हमला कर दिया । तोमचा जल्दी-जल्दी आगे बढ़ा ।कुछ दूर पगडंडी पर उसे सूअर का खून से लथपथ सिर दिखाई दिया ।उस पर ध्यान न देकर तोमचा आगे बढ़ गया ।थोड़ी देर बाद उसे वह सिर फिर दिखाई दिया ।झाड़ियों में बैठा शेर भी दिखाई दिया ।उसकी आँखों में कृतज्ञता का भाव था ।शेर उसके साथ बिशनपुर गाँव तक आया ।तोमचा समझ गया कि शेर उसके किए उपकार का बदला चुका रहा था । प्रस्तावना-प्रश्न – 1. बच्चों!क्या आपने जानवरों से संबंधित कहानी पढ़ी है ? 2. क्या आपने सुना है, जानवरों में भी कृतज्ञ की भावना होती है,वे भी उपकार का बदला देना जानते हैं। क्रमाँक अध्यापक-क्रिया छात्र-क्रिया 1 पाठ का केन्द्रीय भाव छात्रों को समझाना और उसे प्रदूषण से बचाए रखने तथा सजीव प्राकृतिक सौंदर्य को तथा जंगली पौधों का औषधीय ज्ञान कराना। पाठ की आवश्यक जानकारी को अपनी अभ्यास पुस्तिका में लिखना। 2 शिक्षक द्वारा पाठ का उच्च-स्वर में पठन करना। पाठ के कठिन शब्दों के अर्थ समझाना। उच्चारण एवं पठन शैली को ध्यान से सुनना। 3 पाठ के व्याकरण का व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करना। पाठ से संबंधित जिज्ञासाओं का निराकरण करना । 4 पाठ के मुहावरों के प्रयोग से भाषा का सौंदर्य बढ़ाना समझाया जाना। छात्रों द्वारा पठन ,छात्रों द्वारा अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखना। 5 पाठ में कुछ पक्षियों के नाम आए हैं। इनके विषय में बताना तथा उनकी बोलियों से परिचित कराना। पाठ में दिए गए मुहावरों से मिलते-जुलते मुहावरों को लिखना । गृह-कार्य- 1. कहानी को ऊँचे स्वर में पढ़ते हुए सही उच्चारण का अभ्यास करना । 2. पाठ के प्रश्नों का अभ्यास करना । 3. कहानी का भाव समझकर संक्षेप में अपने सहपाठियों को सुनाना । 4. पाठ में आए कठिन शब्दों का अपने वाक्यों में प्रयोग करना । 5. प्रदूषण से बचाए रखने के लिए हमें चैतन्य रहना चाहिए, कैसे , एक अनुच्छेद लिखकर अपने विचार व्यक्त कीजिए । परियोजना कार्य- 1. कहानी में आए सभी जानवरों के चित्र बनाएं । 2. जानवरों की कृतज्ञता पर एक लघु-कथा लिखें । 3. जानवर भी उपकार का बदला उपकार से देना जानते हैं ,इस भाव को विस्तार से अपने शब्दों में लिखें। मूल्यांकन- • कहानी शेर और तोमचा से हमें जो नैतिक शिक्षा प्राप्त हुई,उसे अपने दैनिक जीवन में व्यावहारिक रूप से अपनाएं। • जानवरों में भी मानवीय गुण होते हैं, एक अन्य कहानी का उदाहरण देकर प्रमाणित करें ।

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