नमन काव्याँचल_काव्याराधना आयोजन -आठवाँ दिवस सरोवर - पंपा सरोवर तिथि - 03.04.2020 विषय - पोस्ट -8 क्रमाँक - 61 टीम का नाम - तीसरी आँख टीम के सदस्य -1.अरुणा कालिया-(सुनीता) 2.निखिल कुमार -(अभिनव) 3.विजय लक्ष्मी राय-(अमिता) किरदार का नाम -सुनीता विधा - काव्य शीर्षक - 'असमंजस की बात है' सम्मान से जीना तो जरूरी है, न चाहने पर भी तलाक़-मंजूरी है| विपरीत फैसला लेना,उलझन सही, आत्मसम्मान की बात भी जरूरी है| माँ के ताने सुनने मंज़ूर हैं, पति की प्रेमिका का साथ बर्दाश्त नहीं| मायके में माँ के ताने दर्द देते हैं आत्मसम्मान का टूटना बरदाश्त नहीं| बेटी आयशा के जीवन की भी चिंता एक माँ के लिए स्वाभाविक बात है लौट जाऊँ सोचा कितनी ही बार सौतन गवारा,मंज़ूर नहीं बात है | चाहना न चाहना एक बात है परिस्थिति से परे फैसला ,अलग बात है | बेटी की चिंता बहुत बड़ी बात है आत्मसम्मान बचाना सर्वोपरि बात है | असमंजस की स्थिति बनना एक बात है मन के विपरीत फैसला मजबूरी की बात है | यौं तो अपमान का घूँट लोग पी लेते हैं, औलाद की ख़ातिर कडु़वा घूँट पीना बड़ी बात है | हँसते-खेलते परिवार में तीसरा की मंजूरी नहीं आ जाए तो खलबली की बात है | परिवार का प्रत्येक सदस्य बिखर जाता है विवेक से काम लेना बुद्धिमानी की बात है | घोषणा यह रचना पूर्णतः स्वयं रचित है , अप्रकाशित है , मैंने fb पर भी कहीं पोस्ट नही की है | मैं इसके प्रकाशन हेतु काव्याँचल को स्वीकृति प्रदान करती हूँ| अरुणा कालिया फरीदाबाद

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