रक्षा बंधन का वास्तविक अर्थ

रक्षा -बंधन की शुभकामनाओं के साथ-
वस्तुतः आज की राखी अपना एक विशेष संदेश रखती है ,उसमें बहन की आकांक्षा है,मां का ममत्व है और राष्ट्र जीवन के निर्बल वर्ग की चीत्कार है। ुउसमें हमारे लक्षावधि भाइयों की गाथा है, क्षत-विक्षत सामाजिक जीवन की सराहना है और वर्ग-भेद,भाषा-भेद, प्रांत-भेद और जाति-भेद के ऊपर उठने के पवित्र संकल्प का संकेत हैं।
        कहा जाता है कि महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु के उपरांत अवसर पाकर गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया ।विधवा महारानी कर्णवती पर विपदाओं के श्यामल मेघ घिर आए।उसने तुरन्त संदेश-वाहक द्वारा बादशाह हुमायुँ के पास सहायतार्थ राखी भेज दी ।कलाई पर राखी बंधते ही हुमायुँ की नसों में बहिन का प्रेम उमड़  आया और तत्काल ऱाखी के सम्मानार्थ दौड़ पड़ा ।इतिहास इस बात का साक्षी है कि रक्षा के सूत्र में बंधे हुमायुँ ने अपने कर्तव्य-पालन में किसी बात की कसर नहीं रखी थी।
    आज अगर मालिक-मज़दूर,ग्राहक-विक्रेता, स्त्री-पुरुष,छात्र-अध्यापक,छोटे-बड़े कर्मचारी प्रतिवर्ष इस पर्व पर एक दूसरे के  रक्षक  होने की प्रतिज्ञा दोहराएं तो सभी रक्षित होंगे।
Posted by Aruna Kalia

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