योद्धा, कर्म भूमि पर डटे रहो
( कविता उन भारतीयों के लिए जो अपने देश की सेवा जीवन का पहला कर्त्तव्य समझते हैं)
योद्धा हो तुम,
इस धरती के
कर्मभूमि पर डटे रहो।
भूमि तुम्हारी अपनी है,
'थक ना' शब्द नहीं शब्दकोश में
योद्धा कहलाओगे तभी
तुम इस धरती के।।
योद्धा वही जो
कभी न रुकता
कभी न थकता
बस आगे बढ़ना
अपना धर्म समझता
कर्मभूमि ही तेरी रणभूमि है,
बढ़ता जा ,बस बढ़ता जा।
यह देश तेरा है
धरती भी है तेरी
धरती की सेवा में रम जा,
फिर देख हर जन है तेरा
हर जन में तू बसता,
ताउम्र योद्धाबन
धरती की शोभा बढ़ाता जा
योद्धा हो तुम ,
वसुधैवकुटुंबकम् का पाठ
हर जन को पढ़ाता जा।
योद्धा हो तुम,
इस धरती के
कर्मभूमि पर डटे रहो।
भूमि तुम्हारी अपनी है,
'थक ना' शब्द नहीं शब्दकोश में
योद्धा कहलाओगे तभी
तुम इस धरती के।।
योद्धा वही जो
कभी न रुकता
कभी न थकता
बस आगे बढ़ना
अपना धर्म समझता
कर्मभूमि ही तेरी रणभूमि है,
बढ़ता जा ,बस बढ़ता जा।
यह देश तेरा है
धरती भी है तेरी
धरती की सेवा में रम जा,
फिर देख हर जन है तेरा
हर जन में तू बसता,
ताउम्र योद्धाबन
धरती की शोभा बढ़ाता जा
योद्धा हो तुम ,
वसुधैवकुटुंबकम् का पाठ
हर जन को पढ़ाता जा।
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