संदेश

वर्षा

झमाझम वर्षा आंगन बगिया सम  मन महका । बच्चे की किलकारी सा किशोर की शरारत सा आज अपना भी मन बहका। छाया छत्र छाया मिले अपनों की फलते फूलते सदा रहो। अपना सा स्पर्श पा नन्हे पौधे सी खिल उठो।         प्रकृति प्रकृति की छाँव में  वात्सल्य सा स्नेह मानव पाए सुकून बालक या वृद्ध भरपूर. बाँहे फैलाए आलिंगन में लेने को तत्पर रहती स्नेहमयी माता स्वरूप.
ऐ पीपल स्थान ले वहां सम्मान मिले जहां। 💐🌹🌷🌸🌺 देव पेड़ है देव समान पूजा जाता है। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 ऐ पीपल मकान की दीवारों के आर पार होकर मत कर अपनी जड़े मजबूत। 🌴☘🍀🌾 मानव का निवास-स्थान है जीवन के थपेड़ों से थक-हार कर विश्राम पा स्वयं को नव-निर्मित कर पाता है। 👩👩👶👦👳‍♀👩‍👩‍👧‍👧 यदि मानव सुरक्षित रह पाएगा तभी तो तेरी पूजा कर पाएगा।  💐💐💐💐🎍🌷🌷 ऐ पीपल व्यवस्थित रूप में उचित स्थान ग्रहण कर। 🍀☘🌴🌴🎄🌳 मानव की देखरेख में रहकर सम्मान पाकर स्वयं का मान बढ़ा । 🎄🎄🎄🎄🎄 हरियाली बिना जीवन नहीं जीवन बिना अस्तित्व नहीं। 🍂🌾🍂🍂 मानव ने प्रकृति को अव्यवस्थित कर स्वयं को संकट में डाला है। 🕸🚣🏻🚣🏻‍♀ अस्त व्यस्त आड़े तिरछे पेड़ों को काट काट कर प्रकृति को छिन्न-भिन्न कर डाला है। 🍂🌾🌨⛈🌧🌬 ऐ प्रकृति तू तो विवेक से मंद बुद्धि मानव को झकझोर कर दे दे ऐसा ज्ञान। 🎄🌴☘🍀🌵 जियो और जीने दो की समझ देकर विवेक शील बना मानव को। --अरुणा कालिया
💐🍁होली होती है​ रंगों के संग प्रेमरस में भीगे तन औ' मन। पिचकारी में भरा उन्माद उल्लास में भीगी बौछार । रंग जाए रोम-रोम सारा मिले दुआ की छत्रछाया। पड़े शीर्ष पर केसर जब -जब अपनत्व मिले केवल तब-तब।       ✏   अरुण कालिया

सूरजमुखी

🌻🌻🌻🌻🌻🌻 आज का सूरज देख सूरजमुखी हुआ उन्मुख कलियां भी चटखने लगीं अरुणिमा के सम्मुख रंग-बिरंगे फूलों पर तितलियां और भंवरे मानो हुए मंत्रमुग्ध । 🙏🙏दुआओं के सूरज 'नई दिशाएं' के धरातल पर असर दिखाने में हुए मश्गूल चांद तारों की टोलियां भी मचाने लगीं शोरगुल ।         🙏🙏  ✏ अरुणा कालिया

छोटा सा मन

छोटे से मन में इतनी बातें काग़ज़ कलम लेकर बैठें, नदारद हैं अब सारी बातें। कलम, कर में रख विचारों के बादल उमड़-घुमड़ कर शोर करें, पर सार्थक शब्दों को न ढूँढ सकें। किंकर्तव्य-सा मूढ़ मन नेत्र इत-उत डोल रहे बनते-बिगड़ते विचारों को न तौल सकें। सारे विचार इक दूजे में लिपट अव्यवस्थित से हो रहे. क्रम में प्रथम लगा व्यवस्थित कर बता न डोल इहाँ उहाँ ऊहापोह मन की मिटा. अब लिख न पाउँ जो लिखना चाहूँ, काश! कुछ ऐसा लिख जाउँ शोषण से किसी एक को भी बचा पाउँ, कोई बच्चा न हो शोषण का शिकार न सहे,अत्याचारी का अत्याचार. ध्यान रहे न हो उम्र से पहले कोई बेटी बड़ी, खेले गुड्डे गुड़ियों से, न हो जाए बचपन में बड़ी . अपने हिस्से का सुख भोगे प्रफुल्लित मन-से, रिश्तों को निभा,न उलझे ऊहा-पोह में.

Vedas in Hindi: हिन्दू धर्म और कलयुग

Vedas in Hindi: हिन्दू धर्म और कलयुग

वसुधैव-कुटुंबकम् अर्थात् The whole world is a family.

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अयं निजः परो वेतिगणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानाम् तु वसुधैव कुटुम्बकम् ।