💐🍁होली होती है रंगों के संग
प्रेमरस में भीगे तन औ' मन।
पिचकारी में भरा उन्माद
उल्लास में भीगी बौछार ।
रंग जाए रोम-रोम सारा
मिले दुआ की छत्रछाया।
पड़े शीर्ष पर केसर जब -जब
अपनत्व मिले केवल तब-तब।
✏ अरुण कालिया
प्रेमरस में भीगे तन औ' मन।
पिचकारी में भरा उन्माद
उल्लास में भीगी बौछार ।
रंग जाए रोम-रोम सारा
मिले दुआ की छत्रछाया।
पड़े शीर्ष पर केसर जब -जब
अपनत्व मिले केवल तब-तब।
✏ अरुण कालिया
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