वर्षा

झमाझम वर्षा
आंगन बगिया
सम  मन महका ।
बच्चे की किलकारी सा
किशोर की शरारत सा
आज अपना भी मन बहका।

छाया
छत्र छाया मिले अपनों की
फलते फूलते सदा रहो।
अपना सा स्पर्श पा
नन्हे पौधे सी खिल उठो।
        प्रकृति
प्रकृति की छाँव में
 वात्सल्य सा स्नेह
मानव पाए सुकून
बालक या वृद्ध भरपूर.
बाँहे फैलाए आलिंगन में
लेने को तत्पर रहती
स्नेहमयी माता स्वरूप.

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