नमन काव्याँचल_काव्याराधना
आयोजन -छठा दिन
सरोवर - पंपा सरोवर
तिथि -1.04.2020
क्रमाँक - 61
टीम का नाम - तीसरी आँख
टीम के सदस्य -1.अरुणा कालिया
2.निखिल कुमार
3.विजय लक्ष्मी राय
विषय - अलंकार
विधा - काव्य
शीर्षक - एक विरहन, प्रेम दिवानी
ढूँढ के लाओ मन का सुकून ,
जाने कहाँ खो गया|
नैना ढूँढें, इत -उत डोले, चैन न पावे,
चित्त का चैन चुरा ले गया,जान न मन पावे|
मेघा की गर्जन विचलित करे,
बिजुरी चमकै जैसे दंतिया दिखावे |
खीझ बढ़ावे, समझ न अब कछु आवे |
मन घबराए, कहीं से उनकी छवि दिख जावे |
(तरसे नैना कहे, रे मेघा ! तू ही कर कछु उपाय |
मेरे साजन को ले आ कहीं से , पाँव पड़ूँ मैं तोए |)
विरहन बाट जोह रही, न सूझे कछु उपाय |
मन नहीं ठहरे, फीके सब अब पकवान लगें |
वैद्य चिकित्सक सब व्यर्थ, मरज न जाने कोए |
सखि सहेली सब बैरी लगै ,हितैषी न लागै मोए |
हाथ जोड़ विनति करूँ सहेली प्रेम न करयो तोए |
सुख-चैन सब जात हैं , फिर भी प्रेम प्रिय काहे होए |
(तरसे नैना कहे, रे मेघा ! तू ही कर कछु उपाय |
मेरे साजन को ले आ कहीं से , पाँव पड़ूँ मैं तोए |)
अलंकार -मानवीकरण
घोषणा
यह रचना पूर्णतः स्वयं रचित है , अप्रकाशित है ,
मैंने fb पर भी कहीं पोस्ट नही की है |
मैं इसके प्रकाशन हेतु काव्याँचल को स्वीकृति प्रदान करती हूँ|
अरुणा कालिया
फरीदाबाद
मेघ आए, पाठ योजना
कक्षा – नवमीं,पाठ योजना पुस्तक – क्षितिज (भाग-1) विषय-वस्तु – कविता प्रकरण – ‘ मेघ आए शिक्षण- उद्देश्य :- ज्ञानात्मक-पहलू कविता का रसास्वादन करना। कविता की विशेषताओं की सूची बनाना। कविता की विषयवस्तु को पूर्व में सुनी या पढ़ी हुई कविता से संबद्ध करना। अलंकारों के प्रयोग के बारे में जानकारी देना। नए शब्दों के अर्थ समझकर अपने शब्द- भंडार में वृद्धि करना। साहित्य के पद्य–विधा (कविता) की जानकारी देना। छात्रों को कवि एवं उनके साहित्यिक जीवन के बारे में जानकारी देना प्राकृतिक सौंदर्य तथा जीव-जंतुओं के ममत्व, मानवीय राग और प्रेमभाव से परिचित कराना। कौशलात्मक-पहलूू स्वयं कविता लिखने की योग्यता का विकास करना। प्रकृति से संबंधित कविताओं की तुलना अन्य कविताओं से करना। मेहमानों की तुलना बादलों से करना। बोधात्मक-पहलू प्राकृतिक सौंदर्य एवं जीव-जगत के व्यवहार पर प्रकाश डालना। रचनाकार के उद्देश्य को स्पष्ट करना। कविता में वर्णित भावों को हॄदयंगम करना। प्रकृति तथा जीव-जंतुओं के प्रति आसक्ति –भाव जागृत करना। प्रयोगात्मक-पहलूू कविता के भाव को अपने दैनिक जीवन के व्यवहार के संदर्भ में जोड़कर देखना। इस क...
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